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सेवानिवृत्ति के बाद भी समाज के लिए हैं समर्पित

कहा जाता है जिंदगी को लंबे समय तक जीना है तो खुद को तंदुरुस्त रखो़ बदलते जीवन शैली में कई लोग खुद को पूरी तरह फिट नहीं रख पाते

प्रतिनिधि, डोमचांच कहा जाता है जिंदगी को लंबे समय तक जीना है तो खुद को तंदुरुस्त रखो़ बदलते जीवन शैली में कई लोग खुद को पूरी तरह फिट नहीं रख पाते, न व्यायाम के लिए समय निकाल पाते हैं और न ही शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अन्य एक्टिवटी कर पाते हैं, पर कोडरमा जिले के कुछ ऐसे बुजुर्ग हैं जो सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद समाज के लिए कार्य तो कर ही रहे हैं. रोजाना योग कर खुद को तंदुरुस्त रखे हुए हैं. जिंदगी की दूसरी पारी जी रहे ये बुजुर्ग आज अपने जीवन का अलग आनंद ले रहे हैं. पारिवारिक जिम्मेवारियों के बीच ये अलग तरीके से जीवन को जी रहे हैं. आइए जानते हैं इन प्रेरणास्रोत व्यक्तित्वों के बारे में शिक्षा के प्रति अब भी जागरूक करते हैं त्रिलोकी नाथ डोमचांच नगर पंचायत क्षेत्र के मंझलीटांड़ निवासी त्रिलोकी नाथ प्राथमिक विद्यालय करमंडी से शिक्षक पद से 30 जून 2009 को सेवानिवृत हुए. वे अपनी सेवानिवृति के बाद भी हमेशा लोगों को शिक्षित बनाने के लिए जागरूक करते रहते हैं. 83 वर्ष की उम्र में भी वे सामाजिक कार्यों में भाग लेते हैं. त्रिलोकी अखिल भारतीय धोबी महासंघ के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं. वे बताते हैं कि.मैं प्रतिदिन सुबह उठकर स्वस्थ रहने के लिए योग करता हूं, इसके बाद अखबार पढ़ता हूं. शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े रहे त्रिलोकी ने अपनी दोनों पोती मनीषा कुमारी और अनीषा कुमारी को हमेशा प्रेरित कर लक्ष्य प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ाया़ आज उनकी दोनों पोतियां एमबीबीएस डॉक्टर हैं. सरकारी अधिकारी बनने के लिए प्रेरित करते हैं उपेंद्र नारायण डोमचांच नगर पंचायत स्थित काली मंडा निवासी उपेंद्र नारायण सिंह खनन पदाधिकारी गिरिडीह के पद से वर्ष 2016 को सेवानिवृत हुए. श्री सिंह सेवानिवृति के बाद घर आ गए, पर अपनी सामाजिक दायित्वों को बखूबी निभा रहे हैं. वे आसपास के युवाओं को सरकारी सेवा में अधिकारी बनने के लिए प्रेरित करते हैं. उपेंद्र अपनी दिनचर्या की शुरुआत स्वस्थ रहने के लिए योगा से करते हैं. इसके बाद क्षेत्र की खबर जानने के लिए अखबार पढ़ते हैं. वे बताते हैं कि अपने आसपास के क्षेत्र के पढ़ने वाले विद्यार्थियों को पढ़ाई पर ध्यान देने की बात कर पदाधिकारी बनने की सलाह देता हूं. उपेंद्र सामाजिक कार्यों में विशेष तौर पर भाग लेते हैं. साथ ही धार्मिक कार्य में भी रुचि लेते हैं. वे प्रतिदिन संध्या बेला महावीर पिंडा जाकर हनुमान चालीसा पढ़ते हैं.

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