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शिक्षा मंत्री ने बनायी जांच कमेटी, डीडीसी अध्यक्ष

कोडरमा़. शिक्षक नियुक्ति में अनियमितता का मामला विकास कोडरमा : कोडरमा में शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितता की जांच के लिए शिक्षा मंत्री नीरा यादव ने सोमवार को डीडीसी सूर्य प्रकाश की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन किया है़ मामले में शिक्षा मंत्री ने डीएसइ को फटकार भी लगायी. कहा कि यह मानवीय भूल […]

कोडरमा़. शिक्षक नियुक्ति में अनियमितता का मामला
विकास
कोडरमा : कोडरमा में शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितता की जांच के लिए शिक्षा मंत्री नीरा यादव ने सोमवार को डीडीसी सूर्य प्रकाश की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन किया है़ मामले में शिक्षा मंत्री ने डीएसइ को फटकार भी लगायी. कहा कि यह मानवीय भूल नहीं, गंभीर मामला है. उन्होंने शिक्षकों के ट्रांसफर-पोस्टिंग मामले में सुधार के भी निर्देश दिये.
अधिकारियों के साथ की बैठक : शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद शिक्षा मंत्री नीरा यादव ने पत्रकारों को बताया : इस तरह की गड़बड़ी मानवीय भूल नहीं हो सकती. अंक बढ़ा कर नियुक्ति का मामला गंभीर है.
उन्होंने कहा कि डीडीसी सूर्य प्रकाश की अध्यक्षतावाली कमेटी पूरे मामले की जांच करेगी. जो भी पदाधिकारी व कर्मी दोषी पाये जायेंगे, उन पर सख्त कार्रवाई होगी. उन्होंने कहा : राज्य में 15 वर्षों से बेपटरी शिक्षा विभाग को पटरी पर लाने के प्रयास हो रहे हैं. इस दौरान कुछ गड़बड़ी हो रही है, तो उसमें सुधार भी किये जा रहे हैं. कोडरमा जिले में शिक्षकों के ट्रांसफर पोस्टिंग के अलावा नवनियुक्त शिक्षकों की पदस्थापना में स्थानीय स्तर से नियमों का पालन नहीं हुआ है. डीएसइ और जिला प्रशासन ने नियम की घोर अनदेखी की है.
बयान बदलते रहे डीएसइ
डीएसइ इस मामले में सोमवार को लगातार अपना बयान बदलते रहे़ पहले कहा कि अंक का बढ़ना मानवीय भूल थी. फिर कहा कि नियम के अनुरूप नियुक्तियां हुईं. पारा कोटे से नियुक्ति के लिए जाति और आवासीय जरूरी नहीं है. पर जब उन्हें नियमावली दिखायी गयी, तो डीएसइ ने कहा कि यदि ऐसा है, तो सिर्फ कोडरमा में ही नहीं, पूरे राज्य में शिक्षकों की नियुक्ति में गड़बड़ी हुई होगी.
डीएसइ ने जारी किया पत्र
शिक्षकों की नियुक्ति में अनियमितता के संबंध में ‘प्रभात खबर’ में छपी खबर पर अपना पक्ष रखने के लिए डीएसइ ने जो पत्र जारी किया है़ इसमें कहा है कि जिन अभ्यर्थियों की नियुक्ति पारा शिक्षक के कोटे से हुई है, उनके लिए जातीय व आवासीय प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है.
रंजन कुमार गुप्ता, सारिका कुमारी, राजेंद्र प्रसाद की नियुक्त के जवाब में उन्होंने लिखा है कि इनका चयन अनारक्षित कोटे में पारा कोटि से की गयी है. इन्हें जातिगत आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया है.
इसलिए जातीय और आवासीय जरूरी नहीं था. वहीं, सूचना का अधिकार के तहत आरटीआइ कार्यकर्ता विजय पांडेय को जो नियमावली उपलब्ध करायी गयी है, उसमें स्पष्ट उल्लेख है कि पारा शिक्षकों के लिए 50 प्रतिशत पद आरक्षित हैं.
इंटर प्रशिक्षित शिक्षक व स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक की सीधी नियुक्ति के लिए चिह्नित रिक्तियों में से 50 प्रतिशत पद सर्वशिक्षा अभियान के तहत दो वर्ष तक अटूट सेवा देनेवालों के लिए आरक्षित रहेंगे. आरक्षण क्षैतिज होगा. नियमावली में यह भी स्पष्ट किया गया है कि कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग, झारखंड सरकार द्वारा प्रदत्त जाति व आवासीय प्रमाणपत्र के आधार पर ही आरक्षण (क्षैतिज आरक्षण सहित) का लाभ अनुमान्य होगा.
आरटीआइ से मिले जवाब के बारे में ‘प्रभात खबर’ ने डीएसइ पीवी शाही का पूरा पक्ष जानना चाहा, तो वे इससे अनभिज्ञ नजर आये. पहले कहा, ‘हमने सही जवाब दिया है.’ फिर कहा, ‘अगर ऐसा नियम है, तो पूरे झारखंड में इसका पालन नहीं हुआ होगा.’ डीएसइ ने कार्यालय के प्रधान सहायक को बुला कर पूछा कि ऐसा कैसे हुआ, तो उसने तर्क दिया कि पारा शिक्षकों का चयन वर्षों पूर्व हुआ था. ऐसे में इनके जातीय व आवासीय प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है. नियमावली दिखाने पर उन्होंने भी बात बदल दी. कहा, ‘यहीं मिल-बैठ कर तय किया गया था कि ऐसे ही नियुक्ति कर लेनी है.’

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