प्रतिनिधि, तोरपा.
महिलाएं अबला नहीं सबला हैं. इसे कई महिलाओं ने चरितार्थ कर दिखाया है. इन्होंने अपने संघर्ष की बदौलत समाज में अलग पहचान बनायी है. ऐसे ही कई महिला तोरपा प्रखंड में हैं. ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं ये महिलाएं.विश्वासी तोपनो :
तोरपा प्रखंड के मरचा की रहनेवाली है विश्वासी तोपनो. उनको गांव वाले डायन कहकर प्रताड़ित करते थे. प्रताड़ना से तंग आकर उनसे डायन प्रथा के खिलाफ लड़ाई शुरू की तथा गांव-गांव में इस कुरीति के खिलाफ जनजागरण चलाने लगीं. उसी का परिणाम है कि आज मरचा पंचायत में डायन के रूप में चिह्नित की गयी 12 महिलाएं आज अच्छी जिंदगी जी रही हैं. विश्वासी बताती है कि 2002 में उसकी शादी हुई. उसके कुछ दिन बाद उसके पड़ोस में एक बच्चा की मृत्यु हो गयी. उसकी मौत का कारण उसके सिर मढ़ा जाने लगा. लोग उसे डायन कहने लगे. विश्वासी बताती है कि लोग राह चलते उसको देखकर थूकते थे. कोई बात नहीं करता था. वह बहुत कुंठित रहती थी. इसके बाद उसने हिम्मत की और डायन प्रथा के खिलाफ लड़ने का फैसला किया. सबसे पहले उसने महिला मंडल का गठन किया. गांव-गांव में बैठक कर डायन प्रथा के खिलाफ लोगों को जागरूक करने लगी. गांव वैसी महिला जिन्हें लोग डायन कहते थे, को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने में मदद की. विश्वासी वर्तमान में पंचायत समिति सदस्य भी हैं.एंजोरेन कुल्लू :
एंजोरेन कुल्लू भी उन महिलाओं में शुमार हैं जिन्होंने डायन प्रताड़ित महिलाओं की मदद की. प्रखंड के उड़ीकेल पंचायत की छह महिलाओं को डायन कहा जाता था. एंजोरेन इन महिलाओं का सहारा बनी. इन महिलाओं को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने में मदद की. उन्हें रोजगार के साधन उपलब्ध कराये. इन महिलाओं को जेएसएलपीएस की मदद से सरकारी योजनाओं से जोड़ा. उन्हें आम बागवानी, दीदी बाड़ी योजना का लाभ दिलाया. आम बागवानी के साथ साथ ये महिलाएं सब्जी की खेती, गाय पालन, बकरी पालन आदि कर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूती बना रही है. इस मुद्दे को लेकर एंजोरेन गांव में बैठक कर लोगों को समझाया तथा इस प्रथा के खलाफ लोगों को जागरूक किया.एतवारी देवी :
तोरपा प्रखंड की गुफु गांव की रहनेवाली एतवारी देवी गांव की महिला मंडल से लेकर एफपीओ की चेयरमैन तक का सफर तय किया है. एतवारी नॉन मैट्रिक है. वर्तमान में व दो करोड़ से अधिक के टर्न ओवर वाले एफपीओ तोरपा महिला कृषि बागवानी स्वबलंबी सहकारी समिति की अध्यक्ष हैं. इस संस्था में 3900 महिलाएं जुडी हैं. जिसका सफल संचालन एतवारी देवी के नेतृत्व में हो रहा है. वर्तमान में यह एफपीओ झारखंड का सबसे अच्छा एफपीओ है. देश के बेस्ट 75 एफपीओ में इसका नाम शुमार है. एतवारी देवी सबसे पहले गांव को नीलिनी महिला मंडल जुडी इसके बाद सीएलएफ से जुडी तत्पश्चात महलाओं के लिए कई अहम किया, जिसमें आम बागवानी प्रमुख है. अपनी काम की बदौलत एतवारी देवी राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी मिल चुकी हैं. एतवारी कहती है कि अभी महिलाओं के विकास के लिए बहुत किया जाना बाकी है.अभिजल कंडुलना :
अपने संघर्ष व मेहनत की बदौलत अभिजल कंडुलना मॉडलिंग की दुनिया में पैर जमा रही हैं. अभिजल रनिया के बलंकेल जैसे सुदूरवर्ती गांव से निकलकर दिल्ली, मुंबई, भुवनेश्वर जैसे शहरों में मॉडलिंग से अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही है अभिजल को इस वर्ष भुवनेश्वर में आयोजित प्रतियोगिता में मिस ग्लोबल ट्राइबल क्वीन इंडिया तथा मिस ग्लोबल ट्राइबल क्वीन ऑफ अर्थ का खिताब जीत चुकी हैं. इसके पूर्व 2021 में उसे दिल्ली में आयोजित मिस नेक्सस यूनिवर्स का खिताब भी मिल चुका है. अभिजल की जिंदगी शुरू से ही संघर्ष भरी रही है. उसके माता-पिता की मृत्यु के पश्चात न सिर्फ उसने अपना घर संभाला, बल्कि अपनी मॉडलिंग को भी जारी रखा. नर्सिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह जॉब के लिए दिल्ली चली गयी. उसने वहां घर-घर जाकर नर्सिंग का काम किया. एक समय ऐसा आया कि अभिजल के पास कोई काम नहीं था. घर चलाना मुश्किल होने लगा था. परंतु अभिजल ने हार नहीं मानी. उसने मेकअप आर्टिस्ट का काम सीखा तथा घूम घ-मकर मेकअप का काम करने लगी. इसी बीच वह अपने मॉडलिंग के शौक को नहीं छोड़ी और आज मॉडलिंग में नाम कमा रही है. अभिजल वर्तमान में खूंटी में मेकअप से संबंधित अपना एकेडमी भी चलाती है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेषडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

