प्रतिनिधि, तोरपा.
कृषि विज्ञान केंद्र के पशुपालन विशेषज्ञ डॉ मीर मुनीब रफीक ने तोरपा प्रखंड के विभिन्न गांव का दौरा कर पशुओं की जांच की. इस दौरान उन्होंने पाया कि प्रखंड के चुरगी, मनहातु, सुंदारी आदि गांवों सहित पूरे जिले में एक संक्रामक रोग का प्रकोप देखा गया है. इसके लक्षण और संकेत लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) से मिलते-जुलते हैं. डॉ मीर मुनीब रफीक ने इस रोग के प्रसार को रोकने के उपाय बताते हुए कहा कि प्रभावित पशुओं में बुखार और त्वचा पर गांठें दिखायी देती हैं. इस रोग को रोकने के लिए पशुओं की आवाजाही प्रतिबंधित करने, संक्रमित पशुओं को अलग रखने और सख्त कीटाणुशोधन प्रोटोकॉल लागू करने जैसे उपाय करना चाहिए. उन्होंने बताया कि लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) एक वायरल संक्रमण है जो मवेशियों को प्रभावित करता है और बुखार, त्वचा पर गांठें और यहां तक कि मृत्यु का कारण भी बन सकता है. यह मच्छरों, मक्खियों और किलनी जैसे कीड़ों के काटने से फैलता है. मवेशियों में लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) का लक्षण, तेज़ बुखार, त्वचा और श्लेष्मा झिल्ली पर सख्त, गोल गांठों का विकास, लिम्फ नोड्स में सूजन और अंगों और थन में संभावित रूप से एडिमा (सूजन) हैं. ये गांठें सबसे पहले पिछले टांगों के ऊपर क्षेत्र में दिखायी देती हैं. उन्होंने बताया कि गांठदार त्वचा रोग का टीका अभी बाजार में उपलब्ध नहीं है. भारत में बकरी चेचक के रोगनिरोधी टीकाकरण का उपयोग किया जाता है. डॉ मुनीफ ने कहा कि लंपी स्किन डिजीज का संदेह होने पर तुरंत निकटतम पशु चिकित्सा अधिकारी को सूचना दें तथा उनसे सलाह लें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

