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तेली जाति को एसटी का दर्जा दे सरकार

तेली जाति के लोगों की आदिवासियों की तरह है रहन-सहन व संस्कृति खूंटी : झारखंड अलग राज्य बना, पर तेली जाति के लोगों को उचित हक अब तक नहीं मिला है. तेली जाति के लोगों का रहन-सहन व संस्कृति आदिवासियों की तरह है. इसलिए इन्हें राज्य सरकार अनुसूचित जनजाति का दर्जा दे. यह बातें मंगलवार […]

तेली जाति के लोगों की आदिवासियों की तरह है रहन-सहन व संस्कृति
खूंटी : झारखंड अलग राज्य बना, पर तेली जाति के लोगों को उचित हक अब तक नहीं मिला है. तेली जाति के लोगों का रहन-सहन व संस्कृति आदिवासियों की तरह है. इसलिए इन्हें राज्य सरकार अनुसूचित जनजाति का दर्जा दे. यह बातें मंगलवार को कचहरी मैदान में आयोजित छोटानागपुरिया तेली उत्थान समाज की सभा में केंद्रीय अध्यक्ष कामेश्वर महतो ने कही.
उन्होंने कहा तेली जाति के लोग उपेक्षित जीवन जी रहे हैं. अनुसूचित जाति का दर्जा मिलने से उनका विकास होगा. कहा कि तेली की संख्या आदिवासियों से कम नहीं है. इसके बावजूद जाति के लोगों को अबतक हक व अधिकार से महरूम रखना उचित नहीं है. तेली समाज के लोग अपने हक व अधिकार के लिए जागृत हो चुके हैं. हमारा आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक की तेली जाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा न मिल जाये.
झारखंड के ट्राइबल इंस्टीट्यूट ने अपने सर्वेक्षण में राज्य सरकार को लिखा है कि तेली समाज का रहन-सहन, संस्कृति पूरी तरह आदिवासियों की तरह है. राज्य सरकार ने इस बाबत रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजा है. राज्य सरकार को चाहिए की वह अविलंब केंद्र सरकार से तेली जाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाने की फाइल पर अंतिम मोहर लगाये.भाजपा जिलाध्यक्ष काशीनाथ महतो ने कहा कि तेली जाति के लोगों ने हक व अधिकार के लिए जो एकजुटता का परिचय दिया है, वह सफलता के लिए मील का पत्थर साबित होगा.
समाज के सिमडेगा जिलाध्यक्ष जगदीश साहू, खूंटी के चमर सिंह राम ने कहा कि झारखंड अलग राज्य के बाद तेरह जिलों में मुखिया, प्रमुख, जिप अध्यक्ष आदि पदों को आरक्षित कर दिया गया है. अर्थात तेली जाति के लोगों का अब मात्र अधिकार, वोट देना रह गया है. समाज के लोग इसे कतई स्वीकार नहीं करेंगे. वोट देंगे तो राजनीतिक व सामाजिक अधिकार भी मिलना चाहिए. लोहरदगा जिलाध्यक्ष कृष्णा प्रसाद साहू, गुमला महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष बसंती साहू, गुमला जिलाध्यक्ष श्याम सुंदर साहू ने कहा कि बहुसंख्यक तेली जाति को सरकार ने गुलाम समझ रखा है. यही कारण है कि अनुसूचित जनजाति का दर्जा की मांग सरकार पूरी नहीं कर रही है. उन्होंने चेतावनी दी की आगामी चुनाव में यह सरकार के लिए बड़ी भूल साबित होगी. क्योंकि अब तेली समाज अब जागरूक हो चुका है.
समाज के अरुण साहू व गुमला जिला बीस सूत्री के उपाध्यक्ष हीरालाल साहू ने कहा कि सरकारी उपेक्षा के कारण आजादी के बाद आज भी तेली समाज के लोग उपेक्षित जिंदगी जी रहे हैं. प्रत्येक जगह जाति के लोग आरक्षण का दंश झेल रहे हैं. जब तक विधानसभा में तेली जाति को जगह नहीं मिलेगी, तब तक समाज की आवाज सरकार तक नहीं पहुंचेगी. मुख्यमंत्री एवं पीएम नरेंद्र मोदी खुद तेली हैं. इसके बावजूद तेली जाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा न दिया जाना, उनकी ओछी मानसिकता को दर्शाता है. डॉ बीआर महतो, समाजसेवी परमानंद कश्यप, परमेश्वर साहू एवं इसराइल अंसारी ने कहा कि हक तभी मिलता है, जब लोग जागरूक बनें.
सभा में शामिल लोग : सभा में लक्ष्मी गौंझू, रामकृष्णा चौधरी, किशोर गौंझू, शकील पाशा, शिवनारायण गौंझू, नरेंद्र साहू, कैलाश महतो, उप प्रमुख जितेंद्र कश्यप, राजेंद्र गौंझू, देवेंद्र महतो, भोला महतो,बालगोविंद महतो, देवेंद्र साहू, राजेश महतो, जगदीश महतो, शंकर साहू, रंगलाल साहू, लक्ष्मण गौंझू, दिलीप साहू, सुबोध महतो, अरुण साहू, भागीरथ राम गौंझू, रामधारी राम,योगेंद्र राम, सयुम अंसारी, बुद्धदेव कश्यप, कृष्णा साहू, भुनेश्वर नायक, दिलीप महतो सहित रांची, खूंटी, सिमडेगा, गुमला आदि जिलों से हजारों लोग मौजूद थे.
Prabhat Khabar Digital Desk
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