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वाहनों से निकलते धुएं से बढ़ रही है परेशानी

खूंटी : शहर में वाहनों के बोझ एवं उससे निकलता जहरीला धुआं लोगों के शरीर को किसी ने किसी रूप में प्रभावित कर रहा है. इससे एक्यूड ब्रोनकाइटिस, लंग्स रोग, ब्रेन एवं फेफड़े से संबंधित बीमारी हो रही है. शहर में बगैर परमिट के वाहन चलाने के लिए सबसे सुरक्षित जगह बन गया है. यही […]

खूंटी : शहर में वाहनों के बोझ एवं उससे निकलता जहरीला धुआं लोगों के शरीर को किसी ने किसी रूप में प्रभावित कर रहा है. इससे एक्यूड ब्रोनकाइटिस, लंग्स रोग, ब्रेन एवं फेफड़े से संबंधित बीमारी हो रही है.

शहर में बगैर परमिट के वाहन चलाने के लिए सबसे सुरक्षित जगह बन गया है. यही कारण है कि खूंटी में पैसेंजर से ज्यादा टेंपों की भरमार है. डीजल टेंपो की संख्या ज्यादा है. पुराने वाहनों से धुआं काफी निकलता है. पंद्रह साल से पुराने बालू ढोनेवाले ट्रक ज्यादा चलते हैं. इन्हे डीजल की जगह केरोसिन से भी चलाया जाता है. केरोसिन से चलनेवाले वाहन ज्यादा धुआं देते हैं.

धुआं उत्सर्जन जांच केंद्र नहीं

जिला में यह जांच केेंद्र अबतक नहीं बना. जिससे लापरवाह चालकों को वाहनों से प्रदूषण छोड़ने पर कार्रवाई का कोई भय नहीं है.

क्या है एमवीआइ एक्ट

वाहनों को नंबर मिल जाने के एक साल बाद पॉल्यूशन यूटिलिटी सार्टिफिकेट लेना जरूरी है. एमवीआइ एक्ट रूल 15 में मोटरयान धुआं उत्सर्जन की सीमा तय है. एक्ट का उल्लंघन करने पर वाहन मालिकों पर एक हजार रुपये का जुर्माना लगता है.

क्या कहते हैं चिकित्सक

डॉ सुनील खलखो एवं डॉ आर के शर्मा कहते हैं कि धूलकण से ब्रोनकाइटिस होने की संभावना रहती है, जो बाद में टीबी का रूप ले लेता है. शरीर में धुआं जाने से ऑक्सीजन की कमी हो जाती है.

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