संवाददाता, जामताड़ा. कहते हैं कि अगर हौसले बुलंद हों तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती. इसकी जीवंत उदाहरण पेश की है कुंडहित प्रखंड के जनार्दनपुर गांव की रहने वाली शिवली मंडल ने. एक साधारण परिवार की शिवली आज महालक्ष्मी आजीविका सखी मंडल के माध्यम से आत्मनिर्भर बनकर ना सिर्फ खुद की पहचान बना रही हैं, बल्कि क्षेत्र के अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत भी बनी हैं. शिवली मंडल ने बताया कि उन्होंने जेएसएलपीएस से जुड़कर अपने जीवन की दिशा और दशा दोनों बदल दी. पहले बी.के. फिर एम.बी.के. बनीं और उसके बाद पीसीएमसी तक का सफर तय किया. फिलहाल वे “नवजीवन सखी कार्यक्रम ” के तहत फूलो-झानो आशीर्वाद योजना में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं, जिसके जरिए वे अन्य महिलाओं को हडिया-दारु छोड़कर स्वावलंबन की राह अपनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं. अपने संघर्ष की कहानी साझा करते हुए शिवली बताती हैं कि उन्होंने 20 हजार रुपये का कर्ज लेकर खेती-बाड़ी की शुरुआत की. उनके पति पहले से ही खेती करते थे, जिसमें उन्होंने सहयोग दिया. शुरुआती सफलता के बाद उन्होंने 40 हजार रुपये का ऋण लेकर सरसों और आलू की खेती की, जिसमें अच्छा मुनाफा हुआ. इसके बाद उन्होंने 70 हजार रुपये का लोन लेकर एक दुधारू पशु खरीदा, जिससे आज उन्हें नियमित आमदनी हो रही है. शिवली का कहना है कि आज उनकी आर्थिक स्थिति पहले से काफी बेहतर हो चुकी है. उनके दो बच्चे हैं बड़ा बेटा 11वीं कक्षा में पढ़ रहा है, जबकि बेटी जामताड़ा के हॉस्टल में रहकर 9वीं कक्षा की पढ़ाई कर रही है. शिवली मंडल की यह यात्रा यह साबित करती है कि जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो न केवल उनका परिवार बल्कि पूरा समाज सशक्त होता है. जेएसएलपीएस के कार्यक्रमों ने उन्हें मंच और मार्गदर्शन दिया और उन्होंने मेहनत और लगन से उस पर चलकर एक मिसाल कायम की.
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