मुरलीपहाड़ी. अम्बाटांड़ के गोपाल लालजी मंदिर में दो दिवसीय जन्माष्टमी उत्सव का समापन रविवार को हुआ. जन्माष्टमी महोत्सव के अंतिम दिन रविवार को भगवान गोपाल लालजी के साथ भक्तों ने दही-कादो उत्सव मनाया. दही-कादो उत्सव के लिए सुबह से ही यहां पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पहुंचने लगी. दूरदराज से इस मंदिर में सैकड़ों भक्त पहुंचे. भक्तों की भीड़ द्वारा अपने साथ लाये दही से भगवान का अभिषेक किया गया. दही अभिषेक से भगवान के आसपास केवल दही-दही हो गया. पंडितजी ने विधिपूर्वक इसका आयोजन कराया. मालूम हो कि यहां पर गोकुल वृंदावन की तर्ज पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाने की परंपरा काफी पुरानी है. जन्माष्टमी की सुबह वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच मंदिर पुजारी ने अभिषेक कर चंवर डुलाते हुए पूजा-अर्चना की. जहां भक्तों ने भी भक्ति भाव के साथ मधुसूदन की पूजा-अर्चना की. इसके बाद भगवान मधुसूदन को तुलसी पिंडा में विराजमान किया गया. तब तक भारी संख्या में भक्त अपने साथ विभिन्न पात्रों में दही लिए लाइन में खड़े थे. जैसे ही भगवान मधुसूदन को सिंहासन पर विराजित किया, लोगों में दही चढ़ाने की होड़ मच गयी. भगवान मधुसूदन का दही-कादो पर्व पर दही की होली खेली जाने लगी. भगवान मधुसूदन का दही से अभिषेक हुआ. वहीं समाज के लोगों ने भक्तों को दही का तिलक लगाया. बता दें कि शनिवार मध्य रात्रि तक कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर गोपाल लालजी मंदिर में उत्सव का माहौल रहा. स्थानीय कलाकारों ने भजन संध्या का कार्यक्रम प्रस्तुत किया. इधर, गीता पाठ का भी समापन गीता आरती के साथ हो गया. वहीं बड़बहाल गांव के मंदिर में भी कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया. रविवार को वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ समापन हुआ.
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