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हाइड्रोजन से आयरन बनाने की तकनीक पर काम कर रहा है जमशेदपुर का ये संस्थान, होंगे ये फायदे

NML Jamshedpur: जमशेदपुर का सीएसआइआर-एनएमएल हाइड्रोजन से आयरन बनाने की तकनीक पर काम कर रहा है. यह नेट जीरो लक्ष्य में अहम भूमिका निभाएगा. सीएसआइआर-एनएमएल के डायरेक्टर डॉ संदीप घोष चौधुरी के अनुसार यदि आयरन ऑक्साइड से ऑक्सीजन हटाने की प्रक्रिया में कोयले की जगह हाइड्रोजन का इस्तेमाल हो, तो इसके कई बड़े फायदे सामने आयेंगे.

NML Jamshedpur: जमशेदपुर, संदीप सावर्ण-भारत की खनिज और धातु संबंधी अग्रणी शोध संस्था सीएसआइआर-नेशनल मेटलर्जिकल लेबोरेटरी (एनएमएल ) जमशेदपुर हाइड्रोजन आधारित आयरन बनाने की अत्याधुनिक तकनीक पर काम कर रही है. संस्थान के वैज्ञानिक हाइड्रोजन-डायरेक्ट रिड्यूस्ड आयरन (एच-डीआरआइ) पद्धति पर शोध कर रहे हैं, जिसके जरिये पारंपरिक कोक और कोयले के स्थान पर हाइड्रोजन को रिडक्टेंट के रूप में इस्तेमाल किया जायेगा. अभी यह अनुसंधान प्रयोगशाला और पायलट स्तर पर है, लेकिन इसे कॉमर्शियल पैमाने पर ले जाने की तैयारी हो रही है. सीएसआइआर-एनएमएल की फेरस ग्रुप/मेटल एक्सट्रैक्शन एंड रीसाइक्लिंग डिवीजन में हाइड्रोजन आधारित प्रोजेक्ट भी चलायी जा रही हैं. यहां पिकल लिकर आयरन ऑक्साइड को हाइड्रोजन गैस की मदद से आयरन पाउडर में बदलने पर रिसर्च कार्य चल रहा है. इसके अलावा संस्थान ने डायरेक्टली रिड्यूस्ड आयरन (डीआरआइ) उत्पादन से जुड़ी कई तकनीकें विकसित की हैं. वैज्ञानिक हाइड्रोजन के साथ-साथ अमोनिया को भी आयरन निर्माण की प्रक्रिया में उपयोग करने की संभावनाओं की जांच कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री के नेट जीरो लक्ष्य को पूरा करने में बनेगा मददगार


सीएसआइआर-एनएमएल के डायरेक्टर डॉ संदीप घोष चौधुरी के अनुसार यदि आयरन ऑक्साइड से ऑक्सीजन हटाने की प्रक्रिया में कोयले की जगह हाइड्रोजन का इस्तेमाल हो, तो इसके कई बड़े फायदे सामने आयेंगे. स्टील उद्योग जो अकेले भारत के कुल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन का 10% से ज्यादा जिम्मेदार है, इस बदलाव से ग्रीन स्टील की दिशा में कदम बढ़ा सकेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2070 तक भारत को नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन वाला देश बनाने का लक्ष्य तय किया है. इसमें हाइड्रोजन आधारित आयरन निर्माण एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन सकता है. स्क्रैप स्टील के रीसाइक्लिंग, ऊर्जा दक्षता, और कार्बन डाइऑक्साइड कैप्चर जैसी अन्य तकनीकों के साथ यह बदलाव भारत को नेट जीरो लक्ष्य तक पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगा.

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हाइड्रोजन से आयरन बनाने से क्या होगा फायदा?

  • कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 80-90% तक कमी
  • वायु प्रदूषण (सल्फर, नाइट्रोजन ऑक्साइड, धूलकण) में भारी गिरावट
  • ऊर्जा दक्षता और उत्पादन प्रक्रिया में सुधार
  • अक्षय ऊर्जा आधारित ग्रीन हाइड्रोजन से आत्मनिर्भरता
  • अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा, क्योंकि यूरोप जैसे देशों में कार्बन बॉर्डर टैक्स लागू हो रहा है.
Guru Swarup Mishra
Guru Swarup Mishrahttps://www.prabhatkhabar.com/
मैं गुरुस्वरूप मिश्रा. फिलवक्त डिजिटल मीडिया में कार्यरत. वर्ष 2008 से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत. आकाशवाणी रांची में आकस्मिक समाचार वाचक रहा. प्रिंट मीडिया (हिन्दुस्तान और पंचायतनामा) में फील्ड रिपोर्टिंग की. दैनिक भास्कर के लिए फ्रीलांसिंग. पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए. 2020 और 2022 में लाडली मीडिया अवार्ड.

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