Jamshedpur news.
झारखंड के बने 25 साल हो गये हैं, लेकिन आज तक दवा की जांच के लिए एक लैब तक नहीं खुल सका है. इस कारण दवाओं के सैंपल को जांच के लिए कोलकाता या अहमदाबाद भेजे जाते हैं. उन लैबों में पहले से ही जांच का भारी दबाव रहता है, जिससे रिपोर्ट आने में लंबा समय लग जाता है, जिसके कारण यहां दवाओं की खपत हो जाती है, जिसके कारण पूरे झारखंड में नकली दवाओं का कारोबार लगातार फैल रहा है, जो मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है. उक्त बातें रविवार को भालुबासा स्थित एक होटल में आयोजित प्रेस वार्ता में उपस्थित झारखंड रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष पीयूष चटर्जी ने कही. उन्होंने कहा कि राज्य में फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन लागू न होने से पूरी व्यवस्था चरमराई हुई है. इसका सीधा असर मरीजों की जान पर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि बाजार में नकली एंटीबायोटिक दवाओं की सप्लाई हो रही है, जो टैल्कम पाउडर और स्टार्च से बनायी जाती है, जिसका खुलासा पहले भी हो चुका है. वहीं फार्मासिस्टों ने बताया कि नकली और अवैध दवाओं की बिक्री 25 प्रतिशत तक पहुंच गयी है. इधर झारखंड के ग्रामीण इलाकों में बिना पंजीकृत फार्मासिस्ट के दवाएं बांटी जा रही हैं.कोल्हान सिर्फ दो ड्रग इंस्पेक्टरों के भरोसे, जबकि 12 से 15 हजार दवा दुकानें
फार्मासिस्टों ने कहा कि पूरा कोल्हान सिर्फ दो ड्रग इंस्पेक्टरों के भरोसे है, जबकि यहां करीब 12 से 15 हजार दवा दुकानें संचालित हो रही हैं. ऐसे में जांच और नियंत्रण संभव ही नहीं है. उन्होंने कहा कि इस बार फार्मासिस्ट दिवस का थीम थिंक हेल्थ, थिंक फार्मासिस्ट रखा गया है, लेकिन झारखंड में इसे ताक पर रखकर विभाग चल रहा है. फार्मासिस्टों ने बताया कि फार्मेसी अधिनियम, 1948 के अनुसार काउंसिल सदस्यों का कार्यकाल पांच साल का होता है, लेकिन झारखंड स्टेट फार्मेसी काउंसिल (जेएसपीसी) के नामांकित और निर्वाचित कई सदस्यों का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी वे काउंसिल चला रहे हैं, अस्थायी रजिस्ट्रार का कार्यकाल भी अप्रैल 2025 में समाप्त हो गया, लेकिन वे अब भी पद पर बने हुए हैं.सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में फार्मासिस्टों की स्थायी भर्ती शुरू नहीं हुई
फार्मासिस्टों ने कहा कि राज्य गठन के बाद भी सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में फार्मासिस्टों की स्थायी भर्ती शुरू नहीं हुई है. ज्यादातर फार्मासिस्ट अनुबंध पर काम कर रहे हैं, जिनके लिए न तो वेतनमान तय है और न सेवा शर्तें. फार्मासिस्टों ने साफ कहा कि फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन का पालन न केवल जरूरी है, बल्कि तत्काल लागू होना चाहिए. इस दौरान अध्यक्ष पीयूष चटर्जी, सचिव मानष मुखर्जी, विशाल पांडे, गौरव कुंडू, देवी प्रसाद दास सहित अन्य मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

