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राज्यपाल रमेश बैस से कुणाल षाड़ंगी ने की भेंट, JSSC नियमावली में संशोधन समेत अन्य मांगों को लेकर सौंपा ज्ञापन

झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस से भाजपा प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने मुलाकात की. इस दौरान JSSC नियमावली में संशोधन, ओड़िया भाषा के साथ सौतेले व्यवहार समेत अन्य मुद्दों के समाधान संबंधी ज्ञापन सौंपा.

Jharkhand News (जमशेदपुर) : बहरागोड़ा के पूर्व विधायक सह भाजपा प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने राज्यपाल रमेश बैस से मिलकर कहा कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (Jharkhand Staff Selection Commission) की दोषपूर्ण नियुक्ति नियमावली में संशोधन करते हुए हिंदी, भोजपुरी, मगही, अंगिका आदि को चयनित क्षेत्रीय-जनजातीय भाषा श्रेणी में शामिल किया जाना चाहिए. इस संबंध में श्री षाड़ंगी ने राज्यपाल श्री बैस को ज्ञापन भी सौंपा.

नयी नियमवाली के अनुसार, यहां के स्थानीय अभ्यर्थी अगर झारखंड के बाहर से मैट्रिक या इंटरमीडिएट करते हैं, तो परीक्षा में बैठने की पात्रता खो देते हैं. इसी तरह अगर कोई झारखंड के बाहर का व्यक्ति झारखंड में मैट्रिक या इंटरमीडिएट कर लेता है, तो झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा में बैठने की पूरी पात्रता रखता है. इसलिए इसमें परिवर्तन करते हुए यहां के युवाओं को समानता का अवसर प्रदान किया जाये.

साथ ही झारखंड सरकार को निर्देश दिया जाये कि झारखंड के मूलवासियों के समुचित विकास की भावना के साथ स्थानीय नीति को लागू किया जा सके. पूर्व विधायक कुणाल के नेतृत्व में राजभवन पहुंचे प्रतिनिधिमंडल में शामिल जिला परिषद सदस्य सुदिप्तो डे राणा, विमल बैठा, सन्नी शुक्ला, देवानंद झा ने राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा.

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ज्ञापन में इन मुद्दों की चर्चा

शिष्टाचार मुलाकात के दौरान कुणाल षाड़ंगी ने राज्यपाल के समक्ष ओड़िया भाषा से हो रहे सौतेले व्यवहार, भाषा की स्थिति से जुड़े कई विषयों को रखा. इनमें भूमिज विद्रोह के नायक गंगा नारायण, चुआड़ विद्रोह के नायक रघुनाथ सिंह व ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रतिरोध करने वाले राजा जगन्नाथ धल की मूर्ति घाटशिला अनुमंडल कार्यालय में स्थापना, कोल्हान विश्वविद्यालय पीजी डिपार्टमेंट सह सभी कॉलेजों में स्वीकृत पदों पर ओड़िया अध्यापकों का पदस्थापन, सभी इंटरमीडिएट कॉलेज तथा 10 प्लस टू हाई स्कूल में एक-एक ओड़िया अध्यापकों की नियुक्ति, चालू सत्र के अंदर भाषेतर 70 विषयों में प्रथम से दशम श्रेणी तक ओड़िया माध्यमों के पाठ्यपुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित कराना, द्वितीय राजभाषा घोषित होने के बावजूद अब तक ओड़िया एकादमी की स्थापना नहीं होना प्रमुख है. इधर, राज्यपाल ने आश्वस्त किया कि वे जल्द ही इस गंभीर विषय पर सरकार से संवाद करेंगे जिसमें सभी वर्गों की चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया जायेगा.

Posted By : Samir Ranjan.

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