Jamshedpur news.
अब लोकसभा में संताली भाषा का भी भाषांतरण हो सकेगा. इसी अगस्त महीने में पिछले दिनों लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यह घोषणा की कि संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी 22 भाषाओं में अनुवाद की सुविधा उपलब्ध करा दी गयी है. इस सूची में संताली भाषा को जोड़ा गया. इस निर्णय से झारखंड, ओडिशा, बिहार और पश्चिम बंगाल के संताली आदिवासियों में खुशी की लहर है. रविवार को लोकसभा में भाषांतरण कार्य में महत्ती योगदान देने वाले संजीव मुर्मू और नव चयानित झारखंड प्रशासनिक सेवा अधिकारी सुनील मुर्मू का परसुडीह खासमहल स्थित बाहागढ़ बस्ती में स्वागत किया गया. मौके पर संजीव मुर्मू ने कहा कि यह सुविधा उन संताली सांसदों के लिए बहुत फायदेमंद है, जो अपनी मातृभाषा में सदन में अपने विचार प्रस्तुत कर सकते हैं. संताली भाषा को यह सम्मान मिलना आदिवासी संस्कृति और पहचान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. सुनील मुर्मू ने अपने संघर्ष व शिक्षा की महत्व के बारे में बताया. माझी बाबा लखाई हांसदा, पारानिक बाबा पोरेस हेंब्रम तथा आसड़ा के माचेत सालु मुर्मू ने दोनों को पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया. इस मौके पर सुकरा हो, सालू मुर्मू, देवीलाल टुडू, सनातन हेंब्रम, आनंद बेसरा, संजय सोरेन, कल्याण मार्डी, मानस सरदार तथा बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

