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कर्मचारियों की चिंता छोड़ श्रीलंका टूर की तैयारी

जमशेदपुर : टाटा स्टील के कर्मचारियों की सुविधाओं में लगातार कटौती हो रही है. लेकिन यूनियन की ओर से लगातार आश्वासन मिल रहा है. समस्याएं सुलझाने के बजाय यूनियन प्रतिनिधि अपनी सुविधाएं छोेड़ना नहीं चाह रहे हैं. कर्मचारियों की गंभीर समस्याओं के बीच टाटा वर्कर्स यूनियन के नेता सपत्नीक 25 अप्रैल को सर्वोच्च संयुक्त कमेटी […]

जमशेदपुर : टाटा स्टील के कर्मचारियों की सुविधाओं में लगातार कटौती हो रही है. लेकिन यूनियन की ओर से लगातार आश्वासन मिल रहा है. समस्याएं सुलझाने के बजाय यूनियन प्रतिनिधि अपनी सुविधाएं छोेड़ना नहीं चाह रहे हैं. कर्मचारियों की गंभीर समस्याओं के बीच टाटा वर्कर्स यूनियन के नेता सपत्नीक 25 अप्रैल को सर्वोच्च संयुक्त कमेटी जेसीसीएम की बैठक में भाग लेने के लिए श्रीलंका जा रहे हैं. इससे संबंधित पासपोर्ट बना चुका है और वीजा भी तैयार है.

ऐसे में कर्मचारी सवाल उठा रहे हैं कि क्या कर्मचारियों के मुद्दे पर यूनियन नेता मैनेजमेंट के खिलाफ आवाज उठा सकेंगे. अगर कर्मचारी मसले पर गौर करें तो मेडिकल एक्सटेंशन बंद कर दिया गया है. टाटा वर्कर्स यूनियन मैनेजमेंट से सिर्फ एक माह का मेडिकल एक्सटेंशन का एक्सटेंशन कराकर संतुष्ट हो जा रही है. कमेटी मीटिंग में इस मसले पर संयुक्त कमेटी की बैठकों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया था. इतना ही नहीं क्वार्टर मॉडिफिकेशन की भी फीस बढ़ी दी गयी है जबकि फ्लैट का फिक्सेशन भी रोक दिया गया है. चार माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोई विरोध तक नहीं हो पाया है.

अहम सवाल
क्या कर्मचारियों के मुद्दे पर नेता प्रबंधन के खिलाफ आवाज उठा सकेंगे
सौ से ज्यादा डिस्चार्ज, यूनियन मौन
टाटा वर्कर्स यूनियन के पास सौ से ज्यादा डिस्चार्ज लोगों की सूची है. इनको छोटे अपराध की बड़ी सजा दे दी गयी है. लेकिन अब तक इन लोगों की नौकरी की वापसी के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है. कर्मचारी यूनियन का चक्कर काटकर लौट जा रहे है. 25 से 30 अप्रैल तक कोई नहीं रहेगा यूनियन में : जेसीसीएम की बैठक में भाग लेने के लिए सारे ऑफिस बियरर जा रहे है. 25 से 30 अप्रैल तक सारे नेता जायेंगे. ऐसे में यूनियन में इस दौरान मजदूरों की बातों को सुनने वाला कोई नहीं रहेगा.
विपक्ष ने भी किनारा किया : विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर टाटा वर्कर्स यूनियन में धरना दिया था. लेकिन उसके बाद से विपक्ष भी नदारद है. विरोध करने वाले ये नेता अब अपने नाम से बयान जारी करने से कतरा रहे हैं.

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