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विधायक-सांसद को गांव में घुसने न दें
सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के विरोध में महाजुटान, बोले बैजू मुर्मू जमशेदपुर : आदिवासी विधायक लक्ष्मण टुडू, मेनका सरदार, गीता कोड़ा, टीएसी के सदस्य जेबी तुबिद व लक्ष्मण गिलुवा ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट के संशोधन विधेयक को समर्थन देकर समाज विरोधी कार्य किया है. इसलिए ग्रामप्रधान, माझी बाबा व मानकी-मुंडा की उपस्थिति में ग्रामसभा द्वारा इनका […]
सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के विरोध में महाजुटान, बोले बैजू मुर्मू
जमशेदपुर : आदिवासी विधायक लक्ष्मण टुडू, मेनका सरदार, गीता कोड़ा, टीएसी के सदस्य जेबी तुबिद व लक्ष्मण गिलुवा ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट के संशोधन विधेयक को समर्थन देकर समाज विरोधी कार्य किया है. इसलिए ग्रामप्रधान, माझी बाबा व मानकी-मुंडा की उपस्थिति में ग्रामसभा द्वारा इनका बहिष्कार किया जाये. उन्हें किसी भी गांव, टोला या कस्बे में घुसने नहीं दिया जाये. उक्त बातें माझी परगना महाल के देश परगना बैजू मुर्मू ने करनडीह जयपाल मैदान में आयोजित जनाक्राेश महाजुटान में कही.
सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के विरोध सामाजिक संगठन माझी परगना महाल, मानकी- मुंडा संघ एवं भूमिज मुंडा समाज की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया था़ श्री मुर्मू ने कहा कि एक्ट में संशोधन के जरिये आदिवासियों के सुरक्षा कवच में छेद करने की कोशिश हो रही है.
रघुवर सरकार 90 दिनों के अंदर संशोधन को रद्द करे, अन्यथा पूरे राज्य में हर जगह विरोध किया जायेगा. जनता सड़क से सदन तक पारंपरिक हथियार के साथ आंदोलन करने को तैयार है. इस महाजुटान के जरिये आदिवासी-मूलवासी ने जनांदोलन का आगाज कर दिया है. संचालन माझी बाबा दुर्गाचरण माझी ने किया.
थोपा हुआ कानून मान्य नहीं : आर्षिता टूटी
बिरसा मुंडा की चौथी पीढ़ी की बेटी आर्षिता टूटी भी जनाक्रोश महाजुटान में पहुंची थी. आर्षिता ने कहा कि हजारों वर्षों से कस्टमरी एरिया के लोगों की संस्कृति सभ्यता एवं पारंपरिक व्यवस्था को नजरअंदाज किया गया़ इनकी वास्तविक पहचान को बिगाड़ा गया़ आदिवासियों की भाषा को सम्मान नहीं मिला़ सैकड़ों आदिवासी शहीदों को (जिन्होंने इस देश की भूमि यानी जमीन के लिए अपनी जान की कुर्बानी दी) को स्वतंत्रता दिवस पर याद तक नहीं किया जाता़ देश में गणतंत्र दिवस तो मानते हैं, लेकिन जिन क्षेत्रों में आदिवासी गणतंत्र सदियों से जीवित था, उसे तरजीह नहीं दी गयी. ‘पाड़हा व्यवस्था’ , ‘डोकलो व्यवस्था’, ‘गोत्र पड़हा व्यवस्था’,‘मानकी मुंडा व्यवस्था’, ‘ प्रधानी व्यवस्था ‘ और ‘मांझी परगनैत व्यवस्था’ जैसी आदिवासी परंपरागत प्रशासन व्यवस्था यहां सदियों से आज तक चली आ रही है़ भारत का संविधान अनुसूचित क्षेत्रों में सामान्य कानून व्यवस्था लागू करने की इजाजत नहीं देता है.
राज्य सरकार को आदिवासियों की पारंपरिक व्यवस्था के खिलाफ कोई भी कानून बनाने का अधिकार नहीं है़ फिर भी सभी सामान्य नागरिक कानून इनके क्षेत्रों में जबरदस्ती थोपे जा रहे है़ं उन्होंने कहा कि भारत में सभी तरह के कॉमन सिविल लॉ धर्म के नाम पर बने, लेकिन कस्टमरी एरिया के लोगों के लिए सभी तरह कानून होने के बाद भी उन आदिवासी क्षेत्रों के लिए कोई ‘कस्टमरी लॉ’ नहीं बनाये गये़ आज इन्हीं कारणों से आदिवासी क्षेत्र के लोग को उसके ही जल ,जंगल और जमीन से खदेड़ा जा रहा है, जो न्याय संगत नहीं है़ उन्होंने समस्त झारखंडी जन से एकजुट व एकमत होने का आह्वान किया.
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