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कंज्यूमेबल पर आइटीसी बंद, कंपनियां हलकान

कंज्यूमेबल पर आइटीसी बंद, कंपनियां हलकान- फोटो है इंदर अग्रवाल (ऋषि) प्रमंडल-आइटीसी की राशि रांची-1673.80जमशेदपुर-927.29धनबाद-1712.71हजारीबाग-875.71संताल परगना-149.56कुल-5339.07( आंकड़े करोड़ रुपये में)क्या नुकसान होगा 1. टाटा स्टील व टाटा मोटर्स समेत कई कंपनियां एंसीलियरी कंपनियों से टैक्स भुगतान करने के बाद कच्चा माल लेती है. फाइनल माल तैयार होने के बाद सरकार से आइटीसी लेती है. ऐसे […]

कंज्यूमेबल पर आइटीसी बंद, कंपनियां हलकान- फोटो है इंदर अग्रवाल (ऋषि) प्रमंडल-आइटीसी की राशि रांची-1673.80जमशेदपुर-927.29धनबाद-1712.71हजारीबाग-875.71संताल परगना-149.56कुल-5339.07( आंकड़े करोड़ रुपये में)क्या नुकसान होगा 1. टाटा स्टील व टाटा मोटर्स समेत कई कंपनियां एंसीलियरी कंपनियों से टैक्स भुगतान करने के बाद कच्चा माल लेती है. फाइनल माल तैयार होने के बाद सरकार से आइटीसी लेती है. ऐसे में टैक्स का जो अंतर आता था, उसका भुगतान करते थे. अब उन्हें पूरे वैट का 14 फीसदी टैक्स देना होगा, जबकि पहले यह राशि कम थी2. टाटा स्टील आयरन ओर का इस्तेमाल करती है. इसका सीधा इस्तेमाल स्टील बनाने में किया जाता है. अगर कोयला समेत अन्य खनिज संपदा या लॉजिस्टिक पर खर्च होता है, तो उस पर आइटीसी नहीं मिलेगा3. टाटा मोटर्स व टाटा स्टील समेत कई बड़ी कंपनियों को अगर यहां आइटीसी नहीं मिलेगी, तो दूसरे राज्यों से कारोबार करेगी. इससे यहां के कारोबारियों को काम देना बंद हो जायेगा. यह शुरू हो गया है4. आदित्यपुर क्षेत्र में कई स्पंज आयरन समेत अन्य कंपनियां हैं, जो आइटीसी लेकर दूसरे से माल खरीदती रही है, लेकिन अब यह संभव नहीं हो पायेगावरीय संवाददाता, जमशेदपुरसेल्स टैक्स विभाग की ओर से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) पर रोक लगाने से उद्योगों पर सीधा असर पड़ रहा है. ऐसे में कंज्यूमेबल्स आइटम पर हर साल मिलने वाली आइटीसी कंपनियों को नहीं मिलेगी. राज्य सरकार के इस आदेश से करोड़ों रुपये की आइटीसी सेल्स टैक्स विभाग पर है. उसका भुगतान नहीं किया जा रहा है. उद्योगों के समक्ष पहले से ही काफी चुनौतियां हैं. इन चुनौतियों से निबटने के बजाय सरकार टैक्स का बोझ दे रही है. अप्रैल का बकाया कैसे देगी कंपनियांकंपनियों के समक्ष नयी समस्या यह है कि वैट में संशोधन की अधिसूचना सितंबर 2015 को जारी की गयी. उसे लागू एक अप्रैल 2015 से किया गया. अब कंपनियां बकाया भुगतान को लेकर परेशान है. जो माल बेच चुके हैं, उसकी वसूली कैसे कर सकेंगे. इसे लेकर संकट है. राज्य को भी राजस्व का नुकसान होगा नये कानून से उद्यमी के पास विवशता है कि वे पड़ोसी राज्यों से माल मंगायेंगे. उस पर उन्हें सिर्फ सीएसटी का भुगतान करना होगा, जो 2 से 5 फीसदी तक होता है. सरकार कर रही पुनर्विचार, निधि खरे अधिकृतराज्य सरकार इसपर पुनर्विचार कर रही है. विभागीय आयुक्त सह सचिव निधि खरे को इसके लिए अधिकृत कर दिया गया है, ताकि लोगों को सहूलियत हो सके. 2006 से अब तक की राशि का क्या होगा, स्पष्ट नहींराज्य सरकार ने 2015 से इसे लागू किया है. इस कानून को लागू कर दिया जाता है, तो वैट एक्ट 2006 के पहले लागू हुआ था. तब से आज तक करोड़ों रुपये कंपनियों का है. उसका भुगतान सरकार करेगी या नहीं, यह स्पष्ट नहीं किया गया है. पड़ोसी राज्यों में जाना हमारी विवशता : एसियाएसिया के अध्यक्ष इंदर अग्रवाल ने बताया कि पड़ोसी राज्यों से कारोबार करना विवशता हो जायेगी. हर हाल में कंज्यूमेबल गुड्स पर आइटीसी सरकार देगी, ऐसी उम्मीद है ताकि यहां के उद्योगों को संकट से ऊबारा जा सके. इससे लगभग सारी कंपनियां प्रभावित हो चुकी है. नुकसान ही होना है.

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