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टाटा स्टील: कंपनी पर संकट, खर्च कम करना जरूरी

जमशेदपुर : टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन ने सार्वजनिक तौर पर माना है कि वर्तमान परिस्थिति में कंपनी संकट के दौर से गुजर रही है. इससे निबटने के लिए राज्य सरकार,आम शहरवासी और कर्मचारी-पदाधिकारियों का सहयोग जरूरी है. श्री नरेंद्रन ने उक्त बातें शुक्रवार को टाटा स्टील के रूसी मोदी सेंटर फॉर एक्सीलेंस में […]

जमशेदपुर : टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन ने सार्वजनिक तौर पर माना है कि वर्तमान परिस्थिति में कंपनी संकट के दौर से गुजर रही है. इससे निबटने के लिए राज्य सरकार,आम शहरवासी और कर्मचारी-पदाधिकारियों का सहयोग जरूरी है. श्री नरेंद्रन ने उक्त बातें शुक्रवार को टाटा स्टील के रूसी मोदी सेंटर फॉर एक्सीलेंस में आयोजित नये साल के केक कटिंग समारोह में कहीं. उन्होंने कहा कि संकट से निबटने की तैयारी चल रही है.

हलांकि हालात ऐसे नहीं हैं कि कर्मचारियों के वेतन में कटौती किया जाये. चूंकि यह उतार-चढ़ाव वाला उद्योग है और इसमें सबसे ज्यादा पूंजीनिवेश किया गया है, इस कारण जरूरी है कि सरकार भी कंपनियों की मजबूती के लिए आवश्यक कानून बनाये. श्री नरेंद्रन ने बताया कि वर्तमान हालात यह है कि स्टील की जो कीमत वर्ष 2003 में थी, आज यह उसी कीमत पर बिक रही है और बाजार में सारे रॉ मैटेरियल के दाम उतने ही हैं.

चीन, कोरिया व जापान से संकट : श्री नरेंद्रन ने कहा कि चीन, कोरिया व जापान के कारण सबसे ज्यादा संकट की स्थिति है. टाटा स्टील को इन चुनौतियों से बचाने की जरूरत है. एमडी ने कहा कि चीन के पास 120 मिलियन टन का अतिरिक्त उत्पादन है, जिसको डंप किया जा रहा है. कोरिया व जापान में भी इस तरह का संकट है. हालात यह है कि प्रति टन 14 हजार रुपये तक का नुकसान कंपनी को उठाना पड़ रहा है. टाटा स्टील प्रोफिट तो कर रही है, लेकिन कंपनी किसी तरह चल रही है.
विदेशी कंपनियां यहां लगे तो चुनौती स्वीकार : श्री नरेंद्रन ने चीन समेत विदेश से भारत में स्टील की हो रही डंपिंग पर नाराजगी जाहिर की. कहा कि दूसरे देशों से जो माल बच जा रहा है, उसको कम कीमत पर अगर किसी देश की कंपनी माल बेचने लगेगी तो निश्चित तौर पर मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. हां, अगर विदेशी कंपनियां देश में कंपनी लगाये और यहां कारोबार करे, तो वह चुनौती स्वीकार है और उससे प्रतिस्पर्धा की जा सकती है.
स्टील की डिमांड बढ़ेगी, सरकार को मजबूती से कदम उठाने की जरूरत
श्री नरेंद्रन ने कहा कि भारत, साउथ इस्ट एशिया, मैक्सिको और कोरिया जैसे देशों में स्टील की डिमांड बढ़ेगी. केंद्र सरकार को इसके लिए मजबूती से कदम उठाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सेफ गार्ड ड्यूटी का लाभ देने की कोशिश की गयी थी, लेकिन इसका ज्यादा लाभ नहीं मिल पाया. श्री नरेंद्रन ने कहा कि जब चीन जैसे देश के माल यहां डंप होगा तो नौकरियां कहां से आयेंगी, यहां की कंपनियां कैसे बचेंगी? इस पर ध्यान देने की जरूरत है.
अभी नयी चीजों को जोड़ने की जरूरत नहीं
एमडी श्री नरेंद्रन ने कहा कि कंपनी के खर्च को कम करने की जरूरत है. इसका मतलब यह नहीं है कि कंपनी सारी सेवाओं को ही बंद कर देगी. जो सेवा चल रही है, चलती रहेगी, लेकिन अभी नयी चीजों को जोड़ने की जरूरत नहीं है. ऐसे हालात भी नहीं हैं. वेतन में कटौती के बारे में एमडी ने कहा कि कई कंपनियों ने ऐसा किया है, लेकिन अभी ऐसा नहीं किया जायेगा. अगर हालात और बिगड़ेंगे तो देखा जायेगा कि क्या कदम उठाया जा सकता है. हम चाहते हैं कि प्रोडक्टविटी बढ़ायी जाये.
पूर्वोत्तर में स्टील की खपत बढ़ाने की जरूरत : पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्टील की खपत बढ़ाने पर जोर देते हुए श्री नरेंद्रन ने कहा कि यहां स्टील की खपत कम है. यहां से दूसरे प्रदेश में स्टील लेकर जाने में काफी कीमत अदा करना पड़ती है. तीन हजार रुपये प्रति टन का अतिरिक्त खर्च कंपनी पर आता है. ऐसे में अगर यहां खपत होने लगेगी तो इसकी उपयोगिता और बढ़ जायेगी. यह झारखंड, बिहार, ओड़िशा जैसे राज्यों में विकास योजनाओं से बढ़ सकता है.

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