जमशेदपुर. गदड़ा आश्रम में आनंदमार्ग की ओर से आयोजित सेमिनार के अंतिम दिन ट्रेनर आचार्य परमानंद अवधूत ने मनुष्य की प्रगति कैसे हो, इस पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि प्रगति उसी को कहेंगे जहां मनुष्य की गति है भौतिक, मानसिक तथा मानसाध्यात्मिक. भौतिक-मानसिक गति के बारे में कहा कि जितने जीव हैं, समाज में जितने मनुष्य हैं, सबको साथ लेकर चलना होगा. अच्छे लोग सिर्फ स्वयं ही बढ़ेंगे तो दुनिया के बाकी लोग पीछे रह जायेंगे, यह मनोभाव नैतिकता युक्त व्यक्ति के नहीं हो सकते. इसीलिए कहा गया है कि साधना का आनंतम अंग है तप. तप, यानी अपने स्वार्थ की ओर नहीं ताकना, ताकना समाज के हित की ओर, सामूहिक कल्याण की भावना जहां है, उसी का नाम है तप. कार्यक्रम में आचार्य महितोषानंद, नवरुणानंद, सुखदीपानंद, ब्रजपरानंद, आनंद देवश्री आचार्या, योगेश जी, सुनील आनंद, सीताराम, अरुण, पीएन राय, बीएन कुमार, रामबली सिंह, गौतम, इंदु देवी सहित बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकत की.
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सामूहिक कल्याण का भाव है तप (फोटो आनंदमार्ग के नाम से सेव है)
जमशेदपुर. गदड़ा आश्रम में आनंदमार्ग की ओर से आयोजित सेमिनार के अंतिम दिन ट्रेनर आचार्य परमानंद अवधूत ने मनुष्य की प्रगति कैसे हो, इस पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि प्रगति उसी को कहेंगे जहां मनुष्य की गति है भौतिक, मानसिक तथा मानसाध्यात्मिक. भौतिक-मानसिक गति के बारे में कहा कि जितने जीव हैं, समाज में […]
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