जमशेदपुरः जमशेदपुर त्र डॉ शुक्ला मोहंती के कोल्हान विश्वविद्यालय के प्रो-वीसी बनने के बाद खाली हुए जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज के प्रिंसिपल पद के लिए नयी घोषणा कर दी गयी है.
वीमेंस कॉलेज में ही केमेस्ट्री डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ सुमिता मुखर्जी को वीमेंस कॉलेज का नया प्रिंसिपल बनाया गया है. इससे संबंधित कोल्हान विश्वविद्यालय द्वारा अधिसूचना जारी कर दी गयी है. वह पिछले 28 सालों से वीमेंस कॉलेज में कार्यरत हैं. हालांकि वीमेंस कॉलेज के प्रिंसिपल की दौड़ में डॉ सपना घोष और डॉ उषा शुक्ला भी शामिल थीं, लेकिन डॉ सुमिता घोष ने बाजी मार ली. बतौर एडमिनिस्ट्रटर डॉ मुखर्जी पहली बार इस पद पर नियुक्त हो रही हैं, लेकिन उन्होंने पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा कि रयासन विभाग में 35 साल काम करने के बाद समीकरणों को लेकर इतने अनुभव हो गये हैं कि कोई दिक्कत नही होगी. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि आपने देखा होगा कि अधिकांश बड़े नेता या फिर प्रशासनिक पदाधिकारी का बैकग्राउंड केमेस्ट्री होता है. उनके पति डॉ अमित मुखर्जी शहर के जाने-माने ऑथोंपेडिक सर्जन हैं. वीमेंस कॉलेज के ऑटोनोमस बनने के बाद डॉ शुक्ला मोहंती के बाद डॉ मुखर्जी प्रिंसिपल बनी हैं.
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पढ़ाई के 15 दिन के बाद ही वीमेंस कॉलेज कर लिया था ज्वाइन
वीमेंस कॉलेज की प्रिंसिपल बनने के बाद डॉ सुमिता मुखर्जी ने प्रभात खबर से खास-बात चीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि उन्होंने संत जेवियर कॉलेज रांची से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद यहीं से पीजी और फिर 1977 में रांची विवि के संत जेवियर कॉलेज में इनऑर्गेनिक केमेस्ट्री से पीएचडी की डिग्री हासिल की. डिग्री मिलने के 15 दिनों के बाद ही उनकी पहली ज्वाइनिंग जमशेदपुर में ही वीमेंस कॉलेज थी. दो साल तक ( 1979 ) जमशेदपुर में रहने के बाद उनका तबादला रांची कर दिया गया. इसके बाद उनकी शादी डॉ अमित मुखर्जी से हुई. डॉ मुखर्जी जमशेदपुर के हैं, और शादी के बाद वह फिर से जमशेदपुर में आकर रहने लगी. उन्होंने नये सिर से 1985 में वीमेंस कॉलेज ज्वाइन किया. तब से अब तक डॉ सुमिता मुखर्जी जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज में ही कार्यरत हैं.
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क्रीम बच्चे के पलायन को रोकूंगी
डॉ मुखर्जी ने अपनी प्राथमिकताओं के बारे में बात करते हुए कहा कि उनकी प्राथमिकता होगी कि जहां कॉलेज खड़ा है वहां से इसे और तेजी से आगे बढ़ाना है. इसके लिए वह कॉलेज में कई नयी व्यवस्थाओं को भी बहाल करेंगी. डॉ मुखर्जी ने कहा कि 12वीं का रिजल्ट आने के बाद शहर से क्रीम बच्चे बाहर चले जाते हैं. लेकिन कॉलेज के स्तर को इस हद तक ऊपर उठाना है कि बारहवीं के बाद भी उन्हें बाहर न जाना पड़े. खेल-कूद पर भी बल दिया जायेगा. कई अच्छे और नये शिक्षकों को बहाल किया जायेगा. कॉलेज में कैंपस के लिए बड़ी कंपनियां भी आ सके, इसके लिए कंपनियों के साथ बातचीत करने के साथ ही एक माहौल बनाया जायेगा ताकि कॉलेज के बच्चों का ज्यादा से ज्यादा कैंपस हो सके.