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माता-पिता की सेवा मनुष्य का अनिवार्य धर्म

(फोटो आयी होगी)भागवत कथा के क्रम में बृजनंदन महाराज ने कहाजमशेदपुर. माता-पिता की सेवा ही मनुष्य का अनिवार्य धर्म है. मां ही मनुष्य की प्रथम गुरु होती है. उक्त बातें बृजनंदन जी महाराज ने वसुंधरा एस्टेट में चल रही श्रीमद्भागवत कता के क्रम में शनिवार को श्रद्धालुओं से कही. उन्होंने कहा कि मनुष्य को सामर्थ्य […]

(फोटो आयी होगी)भागवत कथा के क्रम में बृजनंदन महाराज ने कहाजमशेदपुर. माता-पिता की सेवा ही मनुष्य का अनिवार्य धर्म है. मां ही मनुष्य की प्रथम गुरु होती है. उक्त बातें बृजनंदन जी महाराज ने वसुंधरा एस्टेट में चल रही श्रीमद्भागवत कता के क्रम में शनिवार को श्रद्धालुओं से कही. उन्होंने कहा कि मनुष्य को सामर्थ्य पूर्ण जीवन जीना चाहिए. अगर रोना ही हो तो उस वंशीवाले के आगे रोयें, जो सताये हुओं को गले से लगाते हैं. उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपनी मदद खुद करनी चाहिए, क्योंकि कोई भी दूसरों की मदद नहीं करता. उन्होंने कहा कि संकल्प में बड़ी ताकत होती है जिसे परमात्मा पूर्ण करते हैं. उन्होंने कहा कि भगवत्कृपा से कुछ भी संभव है. उनकी कृपा से विकलांग भी पर्वत चढ़ जाता है, गूंगा बोल उठता है, बहरा सुनने लगता है. इसलिए ईश्वर को सच्चे मन से याद करना चाहिए.

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