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दलमा इको सेंसेटिव जोन: आस-पास के 51 गांव होंगे प्रभावित, 85 गांवों में पक्का काम पर रोक

जमशेदपुर: दलमा इको सेंसेटिव जोन के अधीन आने वाले 85 गांवों को भी चिह्न्ति कर लिया गया है. इससे सटे इलाके में 51 गांव हैं, जो पूरे तौर से इसके दायरे में तो नहीं आयेंगे, लेकिन उस पर भी वन एवं पर्यावरण विभाग की नजर रहेगी. गांवों में किसी तरह का कोई ईंट या पक्का […]

जमशेदपुर: दलमा इको सेंसेटिव जोन के अधीन आने वाले 85 गांवों को भी चिह्न्ति कर लिया गया है. इससे सटे इलाके में 51 गांव हैं, जो पूरे तौर से इसके दायरे में तो नहीं आयेंगे, लेकिन उस पर भी वन एवं पर्यावरण विभाग की नजर रहेगी. गांवों में किसी तरह का कोई ईंट या पक्का निर्माण पर प्रतिबंध रहेगा. अगर इसकी अनदेखी की गयी तो वन अधिनियम कानून के तहत कार्रवाई की जायेगी.

अगर इको सेंसेटिव जोन में गैर जरूरी खेती की जा रही है तो उसे बंद कराकर उसका उपयोग वन भूमि के रूप में किया जायेगा. इसके बदले जो मुआवजा होगा, दिया जायेगा. हालांकि वन विभाग की ओर से अब तक इस दिशा में कोई पहल नहीं की गयी है, लेकिन इसको लेकर तैयारी की गयी है. हालांकि प्रभावित गांवों के लोगों के रोजगार या उनकी आमदनी का स्रोत क्या होगा, अब तक इस संबंध में विभाग की ओर से कोई योजना नहीं बनायी गयी है.

ग्रामीणों को विशेष प्रशिक्षण दिया जायेगा

इको सेंसेटिव जोन में जितने भी गांव चिह्न्ति किये गये हैं, उन गांवों में ग्रामीणों को जागरूक करने और उन्हें किस तरह उन इलाकों में रहना है, इसकी भी पूरी जानकारी दी जायेगी. इसको लेकर ट्रेनिंग भी करायी जायेगी. जंगल को नुकसान नहीं पहुंचाते हुए स्थानीय लोग अपना गुजर बसर कर सके, यह सुनिश्चित करने को कहा गया है.

गांवों में बेरोजगारी बढ़ी, कैसे मनेगा मकर पर्व

दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी से सटे पटमदा, बोड़ाम से लेकर चांडिल और नीमडीह के इलाके में ईंट भट्ठा, क्रशर मशीन, पत्थरों के खदानों के बंद होने से गांव में रोजी-रोजगार की समस्या उत्पन्न हो गयी है. मकर संक्रांति का पर्व नजदीक है, लेकिन रोजी-रोटी के संकट ने ग्रामीणों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. इस बार मकर पर्व मनेगा, बच्चों को नये कपड़े कैसे खरीद कर देंगे. इसे लेकर हर अभिभावक चिंतित है.

जीने के लिए सही -गलत कुछ भी करूंगा

‘ रोजी-रोजगार नहीं मिल रहा है. जी-तोड़ मेहनत के बाद किसी तरह से हम लोगों का पेट भरता था. अब उस पर आफत आ गयी है. परिवार को जीवित रखने के लिए मजबूरी में गलत-सही कोई भी कदम उठाना ही होगा.

-अजीत तंतुबाई, पटमदा

पेड़-पौधे काट कर जीविका चलायेंगे

हम लोग खदानों में या ईंट भट्ठा में काम कर रह आजीविका चलाते थे. अब तो वह भी छिन रहा है, तो कहां जायेंगे.फिर जंगल से लकड़ी काटकर जीवन यापन करेंगे. सरकार तो जीने के सभी रास्ते बंद कर रही है.

-मोंगली सबर, धुसरा

मकर संक्रांति मनाना मुश्किल

‘ मकर संक्रांति का पर्व सिर पर है. रोजगार छिनने से परिवार की खुशियां छिन गयी है. यह पर्व साल में एक बार आता है, कैसे मनायेंगे, यह समझ नहीं आ रहा है. सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए. -गुरुपदो सिंह, पटमदा

सरकार हमारे बारे में भी सोचे : अरुण

‘ हमारी रोजी रोटी नहीं रही. सरकार हमारे बारे में सोचे, ताकि हमारी समस्या का निराकरण हो सके. हमारी रोजी रोटी कैसे चलेगी, इस पर पहले निर्णय लेना चाहिए. हमलोग कठिन श्रम कर अपने घर को चलाते हैं. अगर सरकार ने हमारी भावना को नहीं समझा, तो हम किससे फरियाद करेंगे. -अरुण सिंह, पटमदा

इको सेंसेटिव जोन में आने वाले 85 गांव

पटमदा: बोटा, कुटिमाकुली, भादुडीह, सालदोहा, हलुदबनी, पातीपानी, मिरजाडीह, गेरुआ, बराजपुर, पुनसा, नूतनडीह, पटालुका, अमडोफारी, अपो, सारी, लायलम, पागदा, कुमारी, चिमटी, कुकरू, घोड़ाबांधा, जामडीह, झंझका, खोकरो, बाघरा, कोयानी, गोबरघुसी, केंदरुकोचा, बामनी, गागीबुरु, बेल्डीह, बुरीडीह, धुसरा, रापचा, अधारझोर, डुंगडुंग, धोबनी, तुंगबुरू, जोड़सा, डांगरडीह, काइरा, सोमडीह.

नीमडीह: बाचकामकोचा, तानकोचा, उगडीह, बमडुंगरी, तेंगाडीह, झरीडीह, तेतला, लुपुंगडीह, पिटकी, चेलेमा, बंधडीह, दहुबेरा. चांडिल: मकुलाकोचा, कादमडीह, शहरबेड़ा, सिकली, बरलखा, पाटा, चिलगू, चाकुलिया, शहरबेड़ा- 2, तुलीन, कटझोर, हामसदा, हुमिद, कादमझोर, आसनबनी, रामगढ़, कांदरबेड़ा. गोलमुरी (जमशेदपुर): शुक्लाहरा, डालापानी, झनतीपहाड़ी, कुडलुंग, बेको, कालाझोर, छोटाबांकी, पलासबनी, भिलाईपहाड़ी, देवघर, बालीगुमा, पारडीह, डिमना.

इको सेंसेटिव जोन से सटे हुए 51 गांव

पटमदा: बघरा, डुंगडुंग, धोबनी, डांगरडीह, बारुडीह, बारूबेड़ा, बनकुचा, लोआडीह, पहाड़पुर, राहेरडीह, चामडीह, राखडीह, रुपशाम, मूचीडीह, चामपीर, ङिालिंगडुंगरी, जावा, लेकरो, खेरवा, गोरडीह, झारबनी, नाइंगजुरी, सिसदा, सरजुमली, लच्छीपुर, बनतोड़िया, बांसगढ़, पोकलाबेड़ा, पटमदा, आमझोर, सुंदरपुर, बनडीह, मुरुंगडीह.

गोलमुरी (जमशेदपुर): बरहाडीह, पारसडुंगरी. नीमडीह: उगडीह, जनता, कामाडुला, बागरी, बुरुडीह, अतासीमल, मुरुगडीह, रुपाडीह, किशुनडीह, पाथरडीह, फायररांगा, बांकड़ा

चांडिल: सिंगाती, काशीडीह, खुचीडीह, करनीडीह

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