जमशेदपुर: जमशेदपुर में कोई भी स्कूल अल्पसंख्यक स्कूल नहीं है. अगर कोई स्कूल अल्पसंख्यक होने का दावा करता है तो यह गलत है, क्योंकि वे अल्पसंख्यक होने की अनिवार्य शर्तो को पूरा ही नहीं करते हैं. उक्त बातें नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स के झारखंड प्रमुख गणोश रेड्डी ने कही. वे सोमवार को सर्किट हाउस में पत्रकारों से बात कर रहे थे.
इस दौरान उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक का साफ अर्थ होता है कि उस स्कूल को किसी भी तरह का अनुदान नहीं मिल रहा है, लेकिन जमशेदपुर में जितने भी स्कूल हैं वे सबलीज की जमीन पर हैं.
प्रत्यक्ष भले ना हों लेकिन परोक्ष रूप से उन्हें जमीन सरकार की ओर से ही दी गयी है, इसलिए वे किसी भी तरह से अल्पसंख्यक नहीं है. इसके अलावा जिस जाति विशेष को लेकर अल्पसंख्यक होने का दावा किया जाता है उस जाति के बच्चों की संख्या दूसरी जातियों के बच्चों की संख्या से कम है. श्री रेड्डी के इस बयान के बाद शहर में एक बार फिर अल्पसंख्यक निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के दाखिले को हवा मिलेगी. उन्होंने कहा कि इस तरह के स्कूलों में भी 20 फीसदी सीट गरीब बच्चों के लिए अनिवार्य रूप से आरक्षित होने चाहिए.
गौरतलब है कि अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून के लागू होने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर एक आदेश जारी किया गया. आदेश दिया गया कि अल्पसंख्यक स्कूलों को आरटीइ से मुक्त रखा जायेगा. वहां गरीब बच्चों के लिए सीट आरक्षित रखने की बाध्यता नहीं होगी. इसके बाद एक के बाद एक कई स्कूलों ने खुद को अल्पसंख्यक होने का दावा किया और इस साल गरीब बच्चों को स्कूल से दूर रखा गया.