जमशेदपुर : झारखंड, बंगाल, ओड़िशा के अलावा असम में लगातार हाथियों के ट्रेन से कट कर मरने की घटनायें हो रही हैं. इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन एक बड़ा कारण हाथियों के आवाजाही के लिए बने कोरिडोर का पूरी तरह तैयार नहीं हो पाना है. इस वजह से ऐसे हादसे हो रहे हैं.
Advertisement
एलिफेंट कॉरिडोर बन जाता, तो नहीं भटकते हाथी
जमशेदपुर : झारखंड, बंगाल, ओड़िशा के अलावा असम में लगातार हाथियों के ट्रेन से कट कर मरने की घटनायें हो रही हैं. इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन एक बड़ा कारण हाथियों के आवाजाही के लिए बने कोरिडोर का पूरी तरह तैयार नहीं हो पाना है. इस वजह से ऐसे हादसे हो रहे हैं. […]
पश्चिम बंगाल ने बंद किया कॉरिडोर : दलमा और आसपास के अलावा पश्चिम बंगाल से सटे पूर्वी सिंहभूम जिले के इलाके से हाथियों के आनेजाने के लिए एक बड़ा कॉरिडोर था. इसे पश्चिम बंगाल सरकार ने बंद कर दिया. इस वजह से दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी से बंगाल की ओर हाथियों की आवाजाही रुक गयी.
बंगाल के वन विभाग ने दलमा जंगल से हाथियों के गुजरने वाले सबसे पुराने रास्ते में खाकराझोड़ के पास एक बड़ा गड्ढा खोद दिया है, जिसकी लंबाई करीब 6.5 किलोमीटर और चौड़ाई नौ फीट है. गड्ढा बन जाने के कारण हाथी इससे होकर आना जाना नहीं कर पा रहे हैं. इसको लेकर जिले के डीएफओ सबा आलम अंसारी ने सरकार को भी रिपोर्ट भेजी थी, लेकिन इंटर स्टेट की मीटिंग में इस मुद्दे पर कोई बातचीत नहीं हुई. राह रोके जाने से हाथी अपनी राह बदल कर इधर-उधर
भटकते हैं. इस दौरान या तो वे ग्रामीण इलाके में चले जाते हैं और नुकसान पहुंचाते हैं या राह भटक कर गड्ढे में, बिजली के करेंट की चपेट में या ट्रेन की चपेट में आकर असमय मौत के शिकार होते हैं.
हर स्तर पर बरती गयी लापरवाही
सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के मुताबिक दलमा से गुजरने वाले हाथियों के लिए आठ जगहों पर एलिफेंट कॉरिडोर बनाया जाना था. लेकिन परियोजना ने अपना काम तो किया, लेकिन कॉरिडोर का निर्माण नहीं किया. चार एलिफेंट कॉरिडोर एनएच 33 से होकर बनना था, जिसको अब तक नहीं बनाया जा सका है. रेलवे के किनारे से भी अंडरब्रिज की तरह का कॉरिडोर बनाया जाना था, ताकि रेलवे ट्रैक पर हाथी नहीं जा सके, लेकिन यहां भी निर्माण नहीं हो सका है.
रेलवे व वन विभाग ने समन्वय नहीं बनाया
ट्रेन से टकराकर होने वाली मौत को लेकर कई बार बैठकें हो चुकी हैं. रेलवे व वन विभाग ने संयुक्त रूप से कार्य योजना तो बनायी, लेकिन योजना धरातल पर नहीं उतरी. इलेक्ट्रिक फेंसिंग का कार्य कुछ क्षेत्र में किया गया था, लेकिन वह भी कारगर नहीं रहा. वन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, हाथी अपनी दांतों से इलेक्ट्रिक फेंसिंग को उखाड़ कर उस एरिया को पार कर जाते हैं. इस कारण ऐसे हादसे होते हैं क्योंकि हाथियों के पूरे शरीर में तो करंट लगता है, लेकिन दांत में करंट नहीं लगता है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement