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स्वीकारोक्ति बयान में अमलेश सिंह का बड़ा खुलासा, कैदी वार्ड में रहने के लिए डॉक्टर को देता था रिश्वत

जमशेदपुर : भुवनेश्वर से गिरफ्तार अखिलेश सिंह के बड़े भाई अमलेश सिंह ने पुलिस को दिये स्वीकारोक्ति बयान में सनसनीखेज खुलासा किया है. उसने कहा है कि आशीष डे हत्याकांड में जेल में बंद रहने के दौरान सितंबर 2010 में उसे जेल से एमजीएम अस्पताल इलाज के लिए लाया गया था. इस दौरान उसे अस्पताल […]

जमशेदपुर : भुवनेश्वर से गिरफ्तार अखिलेश सिंह के बड़े भाई अमलेश सिंह ने पुलिस को दिये स्वीकारोक्ति बयान में सनसनीखेज खुलासा किया है. उसने कहा है कि आशीष डे हत्याकांड में जेल में बंद रहने के दौरान सितंबर 2010 में उसे जेल से एमजीएम अस्पताल इलाज के लिए लाया गया था. इस दौरान उसे अस्पताल में ही भर्ती रखे रहने के लिए उसने एमजीएम अस्पताल के डॉ बड़ाइक को प्रतिमाह 10 हजार रुपये रिश्वत भी दी.

उसे आशीष डे हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा हुई थी, जिसमें उसे बाद में उच्च न्यायालय से जमानत मिली है. वह करीब आठ साल तक जेल में रहा, जिसमें से साढ़े तीन साल तक इलाज के नाम पर एमजीएम अस्पताल के कैदी वार्ड में भर्ती रहा. अमलेश सिंह को रंगदारी के मामले में शनिवार को न्यायिक दंडाधिकारी कमल रंजन के कोर्ट में प्रस्तुत किया गया, जहां उसे तीन दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया.

गौरतलब है कि एमजीएम अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान अमलेश देर रात को कैदी वार्ड से बाहर निकल जाता था. उसके बाद वह सुबह भुइयांडीह और सिदगोड़ा क्षेत्र में रात बिताता था. उसी दौरान तत्कालीन एसएसपी अखिलेश झा ने सूचना के आधार पर एमजीएम कैदी वार्ड में देर रात छापामारी की, जिस दौरान कैदी वार्ड में अमलेश को नहीं पाया. जब सुबह चार बजे अमलेश एमजीएम के कैदी वार्ड में लौटा, तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था. उस समय तत्कालीन एसएसपी ने कैदी वार्ड में पदस्थापित सभी पुलिसकर्मी को सस्पेंड कर दिया था. साथ ही साकची थाना में अमलेश के खिलाफ कैदी वार्ड से भागने का मामला भी दर्ज किया गया था. इस मामले में भी वह जमानत पर है.
अमलेश ने बयान में कहा है कि पिछले एक साल से वह अपनी पत्नी व बच्चों के साथ प्राय: कोलकाता के क्रिस्टल अपार्टमेंट में रह रहा है, जो साला अमित कुमार सिंह के नाम से किराये पर है. कोलकाता में वह पूर्व में तीन-चार माह संकल्प अपार्टमेंट में अौर पिछले छह माह से सिटी न्यू टावर में रह रहा था. उसने कहा कि उसने रंगदारी वसूलने के संबंध में और गाड़ी के कागजात उसी फ्लैट में रखा है. उसके अनुसार वह अपने बेटे से मिलने के लिए मित्र नामित चंद्र सिंह एवं विजय कुमार के साथ भुवनेश्वर गया था, जहां पुलिस ने उसे पकड़ लिया. अमलेश सिंह के अनुसार उसके छोटे भाई अखिलेश सिंह पर हत्या, फायरिंग, रंगदारी के कई मामले दर्ज हैं अौर वह कुख्यात अपराधी है. उससे प्रभावित होकर उसे धन एवं रूतबा की लालसा हुई अौर वह अपना गिरोह तैयार कर स्क्रैप व्यापारियों, ठेकेदारों एवं ट्रांसपोर्टरों को डरा धमका कर अपने सहयोगियों के साथ रंगदारी वसूल करने लगा.
पूछताछ में बताया कि उसे आशीष डे हत्याकांड में कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है, जिसमें वह उच्च न्यायालय से जमानत पर है. पुलिस को दिये बयान में कहा है कि आशीष डे हत्याकांड में लगभग आठ सालों तक न्यायिक अभिरक्षा में रहा. सितंबर 2010 में बीमारी के नाम पर एमजीएम अस्पताल में आया.
आरोप सरासर गलत
अमलेश सिंह द्वारा एमजीएम अस्पताल में भर्ती रहने के लिए प्रतिमाह दस हजार रुपये घूस देने के लगाये गये आरोप के संबंध में डॉ बड़ाइक ने कहा कि उन पर लगाया गया आरोप सरासर गलत और बेबुनियाद है.
डॉ बड़ाईक, एमजीएम अस्पताल

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