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ओल की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं युवा कृषक

युवा कृषक गौतम कुमार इचाक प्रखंड में ओल की खेती को बढ़ावा देने में लगे हैं. लॉक डाउन में इन्होंने खुद जैविक खाद तैयार किया और कम पूंजी में ओल की खेती कर आय बढ़ाने का प्रयास किया है. गौतम के अनुसार बिहार से लगभग 150 क्विंटल ओल का बीज मंगाया और इचाक के अलावा दारू व सदर प्रखंड में किसानों को प्रेरित कर खेती करवा रहे हैं.

इचाक : युवा कृषक गौतम कुमार इचाक प्रखंड में ओल की खेती को बढ़ावा देने में लगे हैं. लॉक डाउन में इन्होंने खुद जैविक खाद तैयार किया और कम पूंजी में ओल की खेती कर आय बढ़ाने का प्रयास किया है. गौतम के अनुसार बिहार से लगभग 150 क्विंटल ओल का बीज मंगाया और इचाक के अलावा दारू व सदर प्रखंड में किसानों को प्रेरित कर खेती करवा रहे हैं. उनके अनुसार आलू की तुलना में ओल की खेती ज्यादा लाभदायक और औषधीय गुणवाला है.

कब और कैसे लगाएं ओल: गौतम ने बताया कि ओल लगाने की अवधि मई से जून तक है. इसे लगाने से पहले जैविक खाद्य को खेत में डाल जुताई करनी पड़ती है. उसके बाद एक पौधा से दूसरे पौधा बीच की दूरी लगभग तीन फीट पर डेढ़ से दो फीट गहराई की होती है. 250-500 ग्राम का बीज के अंकुरित भाग को डाल ऊपर से गोबर युक्त मिट्टी डाल दी जाती है. पौधा तैयार होने के एक माह के बाद जड़ के पास चारों ओर मिट्टी व जैविक खाद्य डाल ढंक दिया जाता है. ओल आठ से नौ माह के बीच तैयार हो जाता है.

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