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कोई चुनमुन से सीखे रुठना और मान जाना

हजारीबाग : कोई कबूतर अपने मालिक के लिए जूता ला दे, शृंगार का सामान लाये, एक बच्चे की तरह जो भी लाने को कहा जाये, उसे तुरंत लाकर सामने रख दे. यह बात सुन कर थोड़ा अविश्वसनीय लगता है, लेकिन यह सच है. वैसे भी कबूतर को हम अब तक चिट्ठियां लाने और ले जाने […]

हजारीबाग : कोई कबूतर अपने मालिक के लिए जूता ला दे, शृंगार का सामान लाये, एक बच्चे की तरह जो भी लाने को कहा जाये, उसे तुरंत लाकर सामने रख दे. यह बात सुन कर थोड़ा अविश्वसनीय लगता है, लेकिन यह सच है. वैसे भी कबूतर को हम अब तक चिट्ठियां लाने और ले जाने के लिए जानते आये हैं.

लेकिन यहां जिसकी बात हो रही है, वह मटवारी स्थित केदार मास्टर के घर पालतू कबूतर चुनमुन है. इसकी सेवा भक्ति से लोग हैरान हैं. वैसे यह कबूतर देखने में तो आम कबूतर की तरह है. किसी का क्या मजाल कि उसकी उपस्थिति में केदार मास्टर के परिवार के सदस्य को बिना आदेश के कोई छू दे. चुनमुन के बारे में केदार मास्टर का कहना है जब हम लोग घर पर नहीं होते हैं, तो चुनमुन (कबूतर) छत पर बैठ कर घर की निगरानी करता है. कोई काम उसके अनुकूल नहीं होने पर वह रुठ भी जाता है. फिर उसे मनाना पड़ता है.

ढाई साल से है परिवार का सदस्य : केदार मास्टर ने बताया कि वह दारू प्रखंड के दिगवार विद्यालय में कार्यरत थे. विद्यालय भवन में काफी कबूतर रहते थे. एक दिन कबूतर का बच्चा ( चुनमुन) अपने घोंसले से नीचे गिर गया. उसे उठा कर वह घर ले आये. घर में बच्चे की तरह पालन पोषण किया. उनके अनुसार, उनकी बेटी के साथ चुनमुन की अच्छी मित्रता है. उस समय से चुनमुन हमारे परिवार का सदस्य बन गया है.

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