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जेपी डैम का अस्तित्व खतरे में

डैम की मरम्मत की जाये, तो क्षेत्र की सैकड़ों हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई हो सकती है हजारीबाग : सदर प्रखंड के ग्राम डुमर एवं मेरू की सीमा पर स्थित जेपी डैम का अस्तित्व खतरे में है. इस जेपी डैम की मरम्मत की जाये तो क्षेत्र की सैकड़ों हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई हो सकती […]

डैम की मरम्मत की जाये, तो क्षेत्र की सैकड़ों हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई हो सकती है
हजारीबाग : सदर प्रखंड के ग्राम डुमर एवं मेरू की सीमा पर स्थित जेपी डैम का अस्तित्व खतरे में है. इस जेपी डैम की मरम्मत की जाये तो क्षेत्र की सैकड़ों हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई हो सकती है.
इस डैम को 1989 में नवभारत जागृति केंद्र लोक समिति ने बनवाया था. लाखों रुपये इस पर खर्च किये गये. इसका उद्देश्य यहां के किसानों को सशक्त एवं विकास करना था. लेकिन आज बांध के काट दिये जाने से बारिश का पानी सीधे नालों में बह कर निकल जा रहा है. डैम में जल संरक्षण नहीं हो पा रहा है. जबकि यह डैम कुछ वर्ष पूर्व तक पानी से भरा होता था. इधर सरकार करोड़ों रुपये डोभा बनाने में पानी की तरह बहा रही है. यह किसानों के लिए कितना फायदेमंद होगा, जांच का विषय है.
बांध की मरम्मत कराने की मांग
ग्रामीण वृजलाल राणा ने कहा कि इस डैम पर छठ घाट बना है. लेकिन पूजा करने में काफी कठिनाई होती है. डोभा बनाने से बेहतर है इस डैम को बना कर जल संरक्षण किया जाये. इससे किसानों को लाभ हो सके. कौलेश्वर राणा ने कहा कि डैम का अस्तित्व समाप्त हो रहा है. इस पर सरकार ध्यान दे तो यहां के किसानों को न केवल सिंचाई का लाभ होगा बल्कि मत्स्य पालन कर समाज का विकास किया जा सकता है. सियाचरण राम ने कहा डैम के काटे गये हिस्से का जल्द मरम्मत कराया जाये और यहां किये सभी प्रकार के विकास के काम की उच्च स्तरीय जांच की जाये.
जिप सदस्य ने कहा
जिप सदस्य कौलेश्वर रजक ने कहा कि इस डैम का पानी बरसात में व्यर्थ में बह रहा है. इसका हम निरीक्षण करेंगे. जहां बांध के काटने से नुकसान हुआ है उसकी मरम्मत जल्द कराने का प्रयास करेंगे. ताकि किसानों को सिंचाई के लिए वर्ष भर पानी मिल सके.
मुखिया ने कहा
चुटियारो पंचायत की मुखिया शांति देवी ने कहा कि जेपी डैम की मरम्मत जल्द की जाये. इससे मेरू एवं डुमर दोनों गांव के किसानों को अधिक लाभ होगा. किसानों कोजागना जरूरी है.
मेरू मुखिया ने कहा
मेरू मुखिया सोनी कुमारी ने कहा कि डैम की मरम्मत को लेकर ग्राम सभा में बात रखी है. इसे लेकर सरकार के पास भी टेंडर के लिए प्रस्ताव भेजा है. इसमें डैम का गहरीकरण, पुल एवं गार्डवाल का निर्माण शामिल है. जो बांधा काटा गया है उसे जल्द बनाने का काम किया जायेगा. ताकि डैम को बचाया जा सके.
किसानों ने बांध को काटा
डैम के उत्तर में किसानों ने खेत में सिंचाई के लिए बांध का थोड़ा हिस्सा काट दिया था. इससे पानी का बहाव दबाव के कारण बढ़ता गया. डैम से पानी की निकासी तेज हो गयी और डैम का पानी सूखने लगा. जबकि जल निकासी के लिए दक्षिण की ओर सीमेंट से बना है.
किसानों की लापरवाही के कारण आज डैम का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है. जल जमाव नहीं होता है. उत्तर की ओर बांध बह कर काफी चौड़ा हो गया है. पूरी नदी सूख कर बीच में मैदान बन गया है. अब तक किसी प्रतिनिधि ने इस ओर ध्यान नहीं दिया.
सिंचाई के लिए बनी थी व्यवस्था
जब डैम में पानी भरा था उस वक्त दोनों गांव के किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए विकास के कई काम हुए थे. सरकार के लाखों रुपये खर्च हुए. 2002 में यहां सिंचाई के लिए नदी में वेल बना कर पाइप लगाया गया. कमरे बना कर मोटर बैठाया गया. मेरू से बिजली के पोल व तार लगाये गये.
डुमर में सिंचाई के लिए परसाटांड़ तक पाइप बिछायी गयी. जल संरक्षरण फसलों तक वितरण के लिए टैंक बनाया गया.मेरू और डुमर के ग्रामीणों की जागरूकता के अभाव में और अभिकर्ताओं की लूट-खसोट के कारण डैम के पास कुछ भी नहीं बचा है. प्रशासन ने कभी जांच तक नहीं की. पूरी सिंचाई योजना भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ गयी. यहां से पोल,तार, ट्रांसफारमर की चोरी हो गयी.

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