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झारखंड के जूते बन सकते हैं इंटरनेशनल ब्रांड

संजय सागर हजारीबाग जिले के बड़कागांव में जूता बनानेवाले मिस्त्रियों को मनपसंद जूते-चप्पल बनाने में महारत हासिल है. यहां के कारीगरों के पास बेहद किफायती दर पर चमड़े के जूते और चप्पल मिल जाते हैं. ये जूते-चप्पल ब्रांडेड कंपनियों को भी मात देते हैं. दूर-दराज के लोग यहां जूते-चप्पल खरीदने आते हैं. राहगीर भी यहां […]

संजय सागर
हजारीबाग जिले के बड़कागांव में जूता बनानेवाले मिस्त्रियों को मनपसंद जूते-चप्पल बनाने में महारत हासिल है. यहां के कारीगरों के पास बेहद किफायती दर पर चमड़े के जूते और चप्पल मिल जाते हैं. ये जूते-चप्पल ब्रांडेड कंपनियों को भी मात देते हैं. दूर-दराज के लोग यहां जूते-चप्पल खरीदने आते हैं. राहगीर भी यहां रुक कर जूते खरीते हैं. एक बार जो बड़कागांव के कारीगरों द्वारा बनाये गये जूते-चप्पल पहन लेता है, वह इसका मुरीद हो जाता है. अच्छी बात यह है कि ये कारीगर पारंपरिक जूते बनाने के साथ-साथ आधुनिकता से पूरी तरह तालमेल बिठा कर चलते हैं. ग्राह की पसंद के अनुरूप जूते-चप्पल बनाने का भी इनमें हुनर है.
सरकारी मदद मिले, तो बने ब्रांड : बालेश्वर राम वर्ष 1975 से जूता-चप्पल बना रहे हैं. अभी शरानी शू हाउस में काम करते हैं. बालेश्वर कहते हैं कि सरकार से सहयोग मिले, तो इस व्यवसाय में चार-चांद लग जाये. वहीं, 20 साल से जूता बना रहे उमेश उर्फ कैलाश कहते हैं कि लोगों को यहां के जूते पसंद हैं. लोग चाहते हैं कि बड़कागांव के जूते-चप्पल ब्रांड बनें, लेकिन सरकार नहीं चाहती. वे कहते हैं कि यहां जिस चमड़े का इस्तेमाल होता है, ब्रांडेड कंपनियां भी वही चमड़ा इस्तेमाल करती हैं. फर्क सिर्फ ब्रांडिंग का है. ‘मेक इन इंडिया’ के तहत प्रोत्साहन मिले, तो बड़कागांव के जूते-चप्पल बड़ी-बड़ी कंपनियों को मात देकर इंटरनेशनल ब्रांड बन सकता है.
160 साल का है इतिहास
बालेश्वर राम ने बताया ने कि बड़कागांव में जूता बनाने का इतिहास 160 साल पुराना है. यहां पहले देवकी राम, मेघो राम, प्रयाग राम,खुशी दास, झब्बू राम, पेटू राम और उनके पूर्वज 1925 में कच्चा चमड़े से जूता बनाते थे. तब जूते की कीमत दो-चार आने (25 पैसे) हुआ करती थी.
यहां का जूता अंगरेजों को खूब भाता था. हजारीबाग के अंगरेज अफसर डालटन ने जब देवकी राम से वर्ष 1935 में 50 पैसे में एक जोड़ी जूते खरीदे, तो यहां जूते बनानेवालों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई. वर्ष 1935 में बड़कागांव थाना का उदघाटन था. उस समय हजारीबाग से बहुत से अंगरेज आये थे. अभी बड़कागांव में जूते की कीमत 400 रुपये से 1800 रुपये तक है.

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