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रहावन के ग्रामीणों का हक मार रहे हैं सफेदपोश

हजारीबाग : हजारीबाग कोयलांचल क्षेत्र के रहावन गांव के भू-रैयतों की जमीन का अधिग्रहण सीसीएल ने 1981 में किया था. इस गांव की आबादी लगभग दो हजार है. भूमि अधिग्रहण के बाद भी भू-रैयतों को सीसीएल की ओर से अब तक कोई सुविधा नहीं मिल पायी है. स्थापितों को मिलनेवाली सुविधाओं पर शुरुआत से ही […]

हजारीबाग : हजारीबाग कोयलांचल क्षेत्र के रहावन गांव के भू-रैयतों की जमीन का अधिग्रहण सीसीएल ने 1981 में किया था. इस गांव की आबादी लगभग दो हजार है. भूमि अधिग्रहण के बाद भी भू-रैयतों को सीसीएल की ओर से अब तक कोई सुविधा नहीं मिल पायी है.
स्थापितों को मिलनेवाली सुविधाओं पर शुरुआत से ही सफेदपोशों की नजर रही है. कुछ तथाकथित नेताओं के चंगुल में विस्थापित फंसते चले गये और उनके हक पर हाथ साफ करते रहे.
गांव के लोग विगत 20 वर्षों से ठगी के शिकार होते रहे हैं. जब इसकी जानकारी रहावन गांव के युवाओं को मिली, तब कुछ नेताओं की ओर से युवाओं को प्रलोभन दिया गया. युवाओं को मुंशी या हाजरी पर रख लिया गया. हालांकि नेताओं का असली मकसद था ग्रामीणों को मिलनेवाली सुविधाओं का बंदरबांट करना. युवकों के विरोध को दबाने का हर तरह से प्रयास किया गया. ज्ञात हो कि रहावन गांव के भू-रैयतों की जमीन से ही झारखंड परियोजना का उत्पादन अधिक होता है. इसके बाद भी गांववाले सुविधा से वंचित हैं.
विस्थापितों को नहीं मिली नौकरी
विस्थापित संघर्ष मोरचा के सहसचिव त्रिवेणी प्रसाद के अनुसार रहावन गांव की जितनी जमीन भू-गर्भ परियोजना में गयी है, उसके मुताबिक लोगों को नौकरी नहीं मिली है. गांव पूरी तरह से बरबाद हो चुका है. 500 एकड़ जमीन परियोजना में जाने के बाद भी गांववालों को नौकरी नहीं मिल पायी है.
ग्रामीण बलदेव महतो के अनुसार यदि हाल यही रहा, तो रहावन गांव का अस्तित्व कुछ दिनों में मिट जायेगा. गांव की जमीन भी बंजर होने के कगार पर है. गांव में अब खेती नहीं हो रही है. किसान अब मजदूरी कर रहे हैं. श्री महतो ने झारखंड परियोजना से कुल उत्पादन का 30 प्रतिशत कोयला रोड सेल के लिए मांग की है, ताकि विस्थापितों को लाभ मिल सके. उन्होंने सभी विस्थापितों को पहचान पत्र देने की मांग की है.
विस्थापित नारायण महतो ने बतायाकि मौजा रहावन का प्लॉट नंबर एक से 1045 तक पूरा जमीन लक्ष्यो भू-गर्भ परियोजना, चुटवा डैम एवं बसंतपुर वासरी से दनिया तक रोड बनाने में क्षतिग्रस्त कर दी गयी है. हेवी ब्लास्टिंग से भी नुकसान हुआ है. उनके अनुसार उक्त जमीन की सरकारी रसीद भी नहीं कर रही है. जमीन की खरीद-बिक्री भी बंद है. धनंजय महतो ने बताया कि कंपनी पांच एवं दस वर्ष का पलान बनाती है. जब से लक्ष्यो भू-गर्भ परियोजना चल रही है, उस समय में ग्रामीण प्रभावित हैं.

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