हजारीबाग : विनोबा भावे विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में हूल दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में कुलपति डॉ रमेश शरण ने कहा कि हूल दिवस का लक्ष्य आंतरिक चेतना को बदल कर समाज में परिवर्तन लाना और आपसी संबंधों में समन्वय स्थापित करना है. उन्होंने महाजनी प्रथा, जल, जंगल, जमीन की समस्या व डायन बिसाही के मामले को जड़ से उखाड़ फेंकने का आह्वान किया. सीएनटी एक्ट व एसपीजीटी एक्ट को सही तरीके से लागू करने की सलाह दी.
प्रतिकुलपति डॉ कुनूर कंडीर ने कहा कि आदिवासी अपनी संस्कृति जल, जंगल व जमीन की रक्षा करना जानते है. छात्र संघ के अध्यक्ष डॉ बीपी सिंह ने कहा कि हूल दिवस की प्रासंगिकता आज के समय में और बढ़ गयी है. कुलसचिव डॉ बंशीधर रुखैयार ने आदिवासियों के प्राकृतिक संसाधनों को दोहन करने को भविष्य के लिए खतरनाक बताया. अध्यक्षता डॉ गोकुल नारायण दास, संचालन डॉ प्रमोद कुमार व धन्यवाद ज्ञापन डॉ माग्रेट लकड़ा ने किया.