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पेसा कानून लागू होने से ही मूल आदिवासियों का होगा विकास : महेंद्र

रौनियार भवन में मूली पड़हा गुमला की बैठक

गुमला. पालकोट रोड स्थित रौनियार भवन में सोमवार को मूली पड़हा गुमला के तत्वावधान में बैठक हुई. बैठक में महेंद्र उरांव ने कहा कि 1996 में पार्लियामेंट से आदिवासियों के लिए रुढ़ी प्रथा को बचाने के लिए पेसा कानून लागू हुआ है. लेकिन आज तक झारखंड सरकार पेसा नियमावली नहीं बना सकी. सरकार केवल अपनी कुर्सी बचाने में लगी है. जब तक पेसा कानून लागू नहीं होगा, तक तब मूल आदिवासियों का विकास संभव नहीं है. आज पेसा कानून को लेकर तरह-तरह से विरोधाभास हो रहा है. हमारे कुछ भाई लोग परंपरा को बिल्कुल छोड़ चुके हैं और हमलोगों ने उसे कभी परंपरा को छोड़ने के लिए नहीं बोले हैं. आज वहीं लोग परंपरा की बात कर रहे हैं. परंपरा में सरना पूजा करते हैं और हम परंपरा से जुड़े हैं. बाकी लोग अपनी परंपरा से हट चुके हैं. बाकि लोग सरहुल मनाते हैं, तो उसका कोई भी पहान नहीं होता है. पड़हा एक सामाजिक व्यवस्था है. कलावती खड़िया ने कहा कि आज हमलोग पांच समुदाय के लोग बैठक कर रहे हैं. बैठक का उद्देश्य यह है कि कल रांची के ब्लू रेडिएशन में चार मंत्रियों की बैठक हुई है. बैठक में धर्म परिवर्तित किये लोगों को बुलाया गया और हमारे समाज के लोगों को नहीं बुलाया गया है, जो पूरी तरह से गलत है. देवराम भगत ने कहा कि पेसा कानून को लेकर कल जो रांची में बैठक हुई है. उसमें पारंपरिक लोगों को नहीं बुला कर गैर पारंपरिक लोगों को बुलाया गया. जबकि उनलोगों द्वारा पेसा कानून का विरोध किया जा रहा है. छठी अनुसूची की मांग कर रहे हैं, जो हमें बर्दाश्त नहीं है. मौके पर महेंद्र उरांव, देवेंद्र उरांव, कलावती खड़िया, फौदा उरांव, विनोद मिंज, पुनो खड़िया, करमा उरांव, राजू उरांव आदि मौजूद थे.

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