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मजदूर के शव को गांव के बाहर रखा, दूर से अंतिम दर्शन की, फिर नदी किनारे हुआ अंतिम संस्कार

गुमला जिला अंतर्गत सिसई प्रखंड के असरो पहानटोली निवासी प्रवासी मजदूर अशोक गोप (20 वर्ष) का शव शुक्रवार को पैतृक गांव पहुंचते ही पूरा गांव गमगीन हो गया. अशोक की मृत्यु की सूचना परिजनों को बुधवार को ही मिल गयी थी. इसके बाद परिजन शव लाने गुरुवार को रांची गये थे. जांच प्रक्रिया व पोस्टमार्टम के बाद शुक्रवार को दिन के 4:30 बजे अशोक के शव को एंबुलेंस से उसके पिता विश्राम गोप, चाचा बिरसा गोप, चचेरी बहन देवंती कुमारी, पालकोट गुड़गुड़ा गांव निवासी दोस्त फागु खड़िया लेकर असरो पहान टोली पहुंचे.

गुमला जिला अंतर्गत सिसई प्रखंड के असरो पहानटोली निवासी प्रवासी मजदूर अशोक गोप (20 वर्ष) का शव शुक्रवार को पैतृक गांव पहुंचते ही पूरा गांव गमगीन हो गया. अशोक की मृत्यु की सूचना परिजनों को बुधवार को ही मिल गयी थी. इसके बाद परिजन शव लाने गुरुवार को रांची गये थे. जांच प्रक्रिया व पोस्टमार्टम के बाद शुक्रवार को दिन के 4:30 बजे अशोक के शव को एंबुलेंस से उसके पिता विश्राम गोप, चाचा बिरसा गोप, चचेरी बहन देवंती कुमारी, पालकोट गुड़गुड़ा गांव निवासी दोस्त फागु खड़िया लेकर असरो पहान टोली पहुंचे.

कोरोना संक्रमण को देखते हुए गांव की सुरक्षा के लिए परिजन व ग्रामीणों ने शव को गांव के बाहर ही रखा. परिजन एवं ग्रामीण गांव के बाहर ही अंतिम दर्शन किये. वहीं से अंतिम संस्कार के लिए असरो नदी घाट ले गया. पूरा मामला क्या है, पढ़े गुमला से दुर्जय पासवान की रिपोर्ट…

चचेरी बहन देवंती कुमारी ने बताया कि अशोक व वह खुद पालकोट के फागू खड़िया के साथ दो वर्ष पहले गोवा काम करने के लिए गये हुए थे. लॉकडाउन की वजह से काम बंद हो गया. हम लोग गोवा में ही फंस गये थे. सरकार के द्वारा श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने पर चार दिन पहले गोवा से रांची आने के लिए निकले थे. बुधवार को बिलासपुर पहुंचते ही अशोक को चक्कर के साथ उल्टी आने लगा.

बहन ने बताया कि बहुत कोशिश के बाद भी ट्रेन में किसी तरह की चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पायी. जिस कारण ट्रेन में ही मेरे भाई की मृत्यु हो गयी. मैंने इसकी सूचना फोन के माध्यम से मेरे घरवालों को बुधवार को ही दी थी. हटिया स्टेशन पहुंचने के बाद भाई का शव को पोस्टमार्टम के लिए रिम्स ले जाया गया. गुरुवार को पिता बिरसा गोप व चाचा विश्राम गोप रिम्स पहुंचे. शुक्रवार को पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद शव को सौंपा गया.

कोरोना संक्रमण के डर से गांव वालों ने शव को गांव से बाहर ही रखने का फैकसा किया, हालांकि मृतक में कोरोना के संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई थी. शव को गांव के बाहर नदी के किनारे रखा गया. वहीं सभी लोगों ने बारी-बारी से अंतिम दर्शन किये और फिर उसी नदी के किनारे शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया. शव के अंतिम संस्कार में भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया.

Posted By: Amlesh Nandan Sinha

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