10.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

पालकोट प्रखंड वन्य प्राणी आश्रयणी क्षेत्र का हुआ 121 साल, अंग्रेजों के जमाने में कुछ ऐसी थी वहां की हालत

पालकोट वन्य प्राणी आश्रयणी क्षेत्र 183.18 वर्ग किमी तक फैला है

गुमला शहर से 25 किमी की दूरी पर पालकोट वन्य प्राणी आश्रयणी क्षेत्र है. इस क्षेत्र में जंगली जानवरों का बसेरा है. प्रवासी पक्षी यदा-कदा आते रहते हैं. वन्य प्राणी आश्रयणी क्षेत्र 183.18 वर्ग किमी तक फैला है. चारों ओर घने जंगल है. पहाड़ है. वन विभाग के अनुसार, इस क्षेत्र में करीब 1500 बंदर हैं, जबकि 60 से अधिक भालू हैं. इसके अलावा वन्य क्षेत्र में लकड़बग्घा, जंगली सूअर, मोर भी काफी संख्या में हैं, जिन्हें पालकोट के कुछ इलाकों में देखा जा सकता है. बंदर व जंगली सूअर तो अक्सर दिख जाते हैं. इस क्षेत्र में हाथियों का भी डेरा है, परंतु हाथी प्रवासी हैं. धान की फसल कटने के बाद हाथी आते हैं और कुछ महीना रहने के बाद चले जाते हैं.

पालकोट प्रखंड वन्य प्राणी आश्रयणी क्षेत्र का 121 साल हो गया. वर्ष 1900 में इस क्षेत्र को पालकोट वन्य प्राणी आश्रयणी क्षेत्र घोषित किया गया था. उस समय अंग्रेजों का शासन था और इस क्षेत्र में जमींदारी प्रथा थी. गुमला व सिमडेगा के सीमावर्ती इलाके में जंगली जानवरों को विचरण करते हुए देख कर इस क्षेत्र काे वन्य प्राणी आश्रयणी क्षेत्र के रूप में विकसित किया गया. वन्य प्राणी क्षेत्र में 79 राजस्व ग्राम को शामिल किया गया है.

पालकोट वन्य प्राणी आश्रयणी क्षेत्र 183.18 वर्ग किमी में फैला हुआ है. सिमडेगा जिला के पाकरटांड़ से लेकर गुमला जिला के रायडीह प्रखंड स्थित सुरसांग, लौकी जमगाई, बसिया प्रखंड की तेतरा पंचायत के गांव वन्य प्राणी आश्रयणी में आते हैं.

पालकोट में पत्थर उत्खनन पर रोक है

पालकोट प्रखंड के गोबरसिल्ली पहाड़ के समीप व सुरसांग में कटहल, जामुन, आंवला, गुलमोहर, कदम के पौधे लगाये गये हैं. साथ ही मिट्टी कटाव को रोकने के लिए गड्ढा पालकोट व बघिमा में खोदा गया है. इसके साथ वन्यप्राणी आश्रयणी क्षेत्र के अंतर्गत कहीं भी खनन कार्य नहीं करना है. जो पकड़े जाते हैं, उनके खिलाफ केस दर्ज किया जाता है. पालकोट प्रखंड के दतली जलाशय में दिसंबर, जनवरी महीने में प्रवासी पक्षी साइबेरियन आते हैं.

जंगली जानवर खुलेआम घूमते हैं

वन क्षेत्र पदाधिकारी महेश प्रसाद गुप्ता ने बताया कि जानवरों के खाने-पीने के नाम से कोष का प्रावधान नहीं है. साथ ही जंगल जानवरों के घूमने-फिरने वाले स्थानों को ट्रेस करने के लिए कहीं कैमरा नहीं लगाया गया है. यहां जंगली जानवर कहीं भी कभी भी घूम सकते हैं. जानवरों को पानी पीने के लिए वाटर हॉल, चेकडैम बनाया गया है.

वित्तीय वर्ष 2019-20 में छह चेकडैम, सात वाटर हॉल वन विभाग द्वारा बनाये गये हैं. इनमें पालकोट, पोजेंगा, झिकिरीमा सिजांग व रायडीह प्रखंड के लोधमा, कोटाटोली, रमजा, लौकी में वाटर हॉल बनाये गये हैं. वहीं रायडीह के सनयाकोना, पालकोट के रोकेडेगा, केराटोली, सेमरा, पोजेंगा, लोटवा में चेकडैम बना है.

Posted By : Sameer Oraon

Prabhat Khabar News Desk
Prabhat Khabar News Desk
यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel