15.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

रांची, लोहरदगा और गुमला में रात्रि पाठशाला की संख्या 80 हुई, चार हजार बच्चे कर रहे शिक्षा ग्रहण

jharkhand news: पूर्व IG डॉ अरुण उरांव के सपने साकार हो रहे हैं. वर्ष 2014 में बाबा कार्तिक उरांव रात्रि पाठशाला की बुनियाद रखी गयी थी. आज राज्य में 80 रात्रि पाठशाला चल रहे हैं. जिसमें करीब 4000 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

Jharkhand news: पूर्व आईजी डॉ अरुण उरांव द्वारा शिक्षा को सामाजिक बदलाव का हथियार बनाने के उद्देश्य से वर्ष 2014 में बाबा कार्तिक उरांव रात्रि पाठशाला की बुनियाद रखी गयी थी. पिछड़े ग्रामीण इलाके में गरीब बच्चों को, गांव के ही रहने वाले कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों द्वारा निःशुल्क व उत्तम शिक्षा देने का प्रबंध अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के माध्यम से किया गया था. आज रांची, लोहरदगा एवं गुमला जिले में इस पाठशाला की संख्या बढ़कर 80 हो गयी है. जिसमे 300 शिक्षक करीब चार हजार बच्चों को शिक्षा देते हुए उनकी जिंदगी संवार रहे हैं.

गांव के सामुदायिक भवन, धुमकुड़िया या अपने आवास में ही इन बच्चों को शाम 5.00 से 7.00 बजे तक पढ़ाया जाता है. अंग्रेजी, विज्ञान एवं गणित विषयों पर विशेष ध्यान दिया जाता है. परिषद द्वारा हर तीन महीने पर रात्रि पाठशाला के क्रियाकलापों की समीक्षा की जाती है. जहां शिक्षकों को अनुभवी एवं पारंगत प्रशिक्षकों द्वारा पठन-पाठन को आसान एवं रुचिकर बनाने के गुर सिखाये जाते हैं. चार पाठशाला को कंप्यूटर दिया गया है. जहां प्रोजेक्टर के माध्यम से डिजिटल क्लासेज की शुरूआत की गयी है. यहां चल रहे पुस्तकालय को जरूरत की किताबों से समृद्ध किया जा रहा है.

शिक्षा, खेल के साथ पारंपरिक गीत एवं नृत्य सीख रहे बच्चे

डॉ अरुण उरांव ने कहा कि रात्रि पाठशाला तेजी के साथ गांव के अखरा एवं धुमकुड़िया का स्थान लेता जा रहा है. जहां ग्रामीण भाई-बहनें अपने बुजुर्ग एवं बच्चों के साथ बैठकर अपने गांव एवं समाज की बेहतरी के लिए सार्थक चर्चा कर रहे हैं. हर गुरुवार को स्थानीय भाषा की क्लास के बाद अखरा में बच्चों को पारंपरिक गीत एवं नृत्य सिखाने की जिम्मेवारी गांव के बुजुर्गों की होती है.

Also Read: अनाज की खोज में हाथी ने गढ़वा में तीन घरों को तोड़ा, गेंहू की खड़ी फसल को रौंदकर किया बर्बाद

स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए योग एवं शारीरिक कसरत को पाठ्यक्रम का अभिन्न हिस्सा बनाया गया है. रविवार या छुट्टी के दिन बच्चों को फुटबॉल सिखलाया जाता है. पाठशाला के बच्चों में हो रहे सुधार का आकलन समय समय पर आयोजित प्रतियोगिता परीक्षा द्वारा की जाती है. जहां उनके बौद्धिक स्तर के साथ सांस्कृतिक ज्ञान को भी परख कर पुरस्कृत किया जाता है. बच्चे एवं बच्चियों के अंतर पाठशाला फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन उनका एक प्रिय इवेंट होता है.

शिक्षकों की भी प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी की व्यवस्था है

रात्रि पाठशाला के शिक्षक अपनी पढ़ाई के साथ अपने लिए रोजगार हासिल करें. इसके लिए उनकी प्रतियोगिता की तैयारी अलग से की जा रही है. युवाओं की ज्यादा रुचि फौज, केंद्रीय सुरक्षा बल एवं पुलिस की भर्ती में जाने को देखते हुए गांव के ही रिटायर फौजी एवं पुलिस अधिकारी उनकी तैयारी एवं प्रशिक्षण होने वाले शारीरिक- मानसिक परीक्षण के लिए गांव में ही कर रहे हैं.

कोरोना में स्कूल बंद हुआ, तो रात्रि पाठशाला बना वरदान

डॉ अरुण उरांव ने कहा कि दो वर्षों में जहां स्कूल और कॉलेज को कोरोना से अभिशप्त होकर बंद करना पड़ा. वहीं, हमारे रात्रि पाठशाला ने ना सिर्फ ऑनलाइन क्लासेस से वंचित गरीब ग्रामीण बच्चों की पढ़ाई जारी रखी, बल्कि हमारे गांव की सामूहिकता की शक्ति, समृद्ध संस्कृति एवं भाषा को जिंदा रखा. इस नवीन प्रयोग को सफल बनाने में महिलाएं एवं हमारे युवा साथी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. इसीलिए अब ये एक आंदोलन का रूप ले रहा है. जब इसे एक सामाजिक बदलाव के हथियार के रूप में हर साथी रात्रि पाठशाला को अपने गांव में आरंभ करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं.

Also Read: Jharkhand News : एक साथ जीने मरने की खायी थी कसम, लेकिन प्यार के दुश्मनों ने नहीं दिया मिलने तो दे दी जान

रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel