चैनपुर. घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में शुमार चैनपुर प्रखंड अंतर्गत बामदा सरनाटोली में करीब तीन दर्जन बच्चे स्कूल के जर्जर भवन में जान जोखिम में डाल कर पढ़ने को विवश हैं. सरनाटोली में नवप्राथमिक विद्यालय संचालित है, जहां वर्ग एक से पांच तक की पढ़ाई होती है. पांचों वर्गों में कुल 33 बच्चे नामांकित हैं. स्कूल भवन के कुल पांच कमरे हैं, जिसमें दो कमरों में कक्षा संचालित की जाती है. एक कमरे में दो वर्गों व दूसरे कमरे में तीन वर्गों के बच्चों को बैठा कर पढ़ाया जाता है. वहीं एक कमरे को कार्यालय व एक कमरे को किचन बनाया गया है, जबकि एक अन्य कमरा स्टोर रूम है. भवन की स्थिति काफी खराब है. छत का प्लास्टर टूट कर गिर रहा है. अभी बरसात का मौसम है. अधिक बारिश होने पर कमरों में छत का पानी रिस कर टपकने लगता है, जिससे पठन-पाठन प्रभावित होते रहता है. हालांकि भवन जर्जर होने की समस्या से शिक्षा विभाग के अधिकारी अवगत हैं. स्कूल प्रबंधन अनेकों बार विभागीय अधिकारियों को लिखित व मौखिक रूप से समस्या से अवगत कराते हुए भवन की मरम्मत करवाने अथवा नया भवन बनवाने की मांग की गयी है. लेकिन विभागीय उदासीनता से विद्यालय भवन दिन-ब-दिन और जर्जर होते जा रहा है.
भवन की मरम्मत नहीं हुई, घट सकती है बड़ी घटना : प्रभारी एचएम
विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका सुषमा टोप्पो ने बताया कि विद्यालय भवन के जर्जर होने से काफी परेसानी हो रही है. हर माह मासिक प्रतिवेदन के माध्यम से इस समस्या से अधिकारियों को अवगत कराया जाता है. लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नहीं हो सका है. उन्होंने बताया कि भवन को मरम्मत की सख्त आवश्यकता है, नहीं तो बरसात के मौसम में बड़ी घटना घट सकती है. उन्होंने विभागीय अधिकारियों से भवन की स्थिति पर संज्ञान लेने और भवन की मरम्मत करवाने अथवा नया भवन बनवाने की मांग की है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

