गुमला. गुमला कचहरी परिसर में झारखंड पिछड़ा वर्ग संघर्ष समिति के कार्यकारी अध्यक्ष नीलांबर साहू की अध्यक्षता में बैठक हुई. बैठक में केंद्रीय महासचिव दिलीपनाथ साहू, जिलाध्यक्ष आजाद सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष शहजादा अनवर, सागर साहू, जुल्फिकार अंसारी, अमित साहू, ललन गोप ने पेसा नियमावली पर चर्चा करते हुए इस कानून के दोष व गुण पर मंथन किया. समिति के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नीलांबर साहू ने कहा है कि झारखंड सरकार को पेसा कानून पेश करने से पहले जाति आधारित जनगणना पूर्ण करने की आवश्यकता थी, परंतु ऐसा नहीं किया गया. झारखंड की धरती में पिछड़ा वर्ग एक बड़ी समुदाय ओबीसी आबादी निवास करती है. ऐसे में अगर सरकार कोई नीति निर्धारण करती है तो पिछड़ा वर्ग को अनुपातिक लाभ मिलने से रहा. कहा कि दूसरी ओर कई ऐसे गांव हैं, जिसमें एसटी/एससी से भी अधिक ओबीसी समुदाय की आबादी है. कई ऐसे ग्राम हैं, जहां 80 फीसदी आबादी पिछड़ा वर्ग लोगों का है. केंद्रीय महासचिव दिलीप नाथ साहू ने कहा कि 30 दिसंबर को भारत की राष्ट्रपति का गुमला जिले का दौरा होना है. उन्हें पिछड़े वर्ग की समस्या से अवगत करने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया जायेगा. उन्होंने कहा कि वैसे भी झारखंड के सात जिलों जिनमें गुमला भी शामिल है. आरक्षण पिछड़ों का शून्य कर दिया गया है, जिससे इस समुदाय के पढ़े-लिखे बेरोजगार युवक-युवतियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जिलाध्यक्ष आजाद सिंह ने कहा कि जितनी भी राजनीतिक पार्टियां हैं. सभी ने सिर्फ ओबीसी वर्ग से वोट लिया और उनके संवैधानिक और अनुपातिक आबादी के अनुसार लाभ दिलाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी है. लेकिन पिछड़ा वर्ग अपने हक की लड़ाई आने वाले दिनों में सड़कों पर उतरकर संवैधानिक तरीके से लड़ेगी. कार्यकारी जिलाध्यक्ष शहजाद अनवर ने कहा कि हम सब सर्वप्रथम पेसा कानून का गहन अध्ययन करने के बाद उसके अनुरूप पिछड़ा वर्ग अपने लड़ाई को पुरजोर तरीके से लड़ेगी. ओबीसी समुदाय अब जाग चुकी है. आने वाले दिनों में झारखंड पिछड़ा वर्ग संघर्ष समिति के बैनर तले आंदोलन किया जायेगा.
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