29.1 C
Ranchi
Friday, March 29, 2024

BREAKING NEWS

Trending Tags:

गुमला में मत्स्य पालन से आयेगी नीली क्रांति, नई तकनीक पर हो रहा काम

गुमला जिला में नीली क्रांति के सपने को साकार करने के लिए धनसिंह जलाशय का चयन किया गया है. जहां नीली क्रांति अंर्तगत इंटेंसिव केज एक्वाकल्चर की नींव रखी गयी है.

गुमला, जगरनाथ पासवान : गुमला जिला मत्स्य पालन में नीली क्रांति की ओर बढ़ रहा है. इसके तहत जिले में मत्स्य पालन के क्षेत्र में नई-नई तकनीक पर कार्य किया जा रहा है. केज कल्चर और अन्य गतिविधियों के माध्यम से जिले के मत्स्य पालक किसानों को मत्स्य पालन के क्षेत्र में बढ़ावा दिया जा रहा है. इसकी शुरूआत गुमला जिला अंतर्गत बसिया प्रखंड के धनसिंह जलाशय से किया है.

उपायुक्त गुमला की पहल पर गुमला जिला में नीली क्रांति के सपने को साकार करने के लिए धनसिंह जलाशय का चयन किया गया है. जहां नीली क्रांति अंर्तगत इंटेंसिव केज एक्वाकल्चर की नींव रखी गयी है. वर्ष 2022 के अक्टूबर माह में एससीए मद से अकांक्षी जिला परियोजना के तहत करोड़ो की लागत से केज एक्वा कल्चर का अधिष्ठापन किया गया है. जिसमें मत्स्य पालन के लिए 12 बैटरी के 48 केज, हाई प्रोटीन युक्त मत्स्य आहार एवं केज रक्षा के लिए छह केज हाउस का निर्माण किया गया है. साथ ही जलाशय के केज में सुगमता पूर्वक आने एवं जाने के लिए एक मोटर बोट, छह पैडल केज, मत्स्य पालकों को जलाशय के केज में सुरक्षित रूप से कार्य करने के लिए 50 लाइफ जैकेट, सुगमता पूर्वक नाव की आवाजाही के लिए पोंटून प्लेटफार्म, 12 सोलर लाइट (प्रत्येक केज में दो सोलर लाइट) आदि का अधिष्ठापन किया गया है.

बतातें चले कि बसिया कभी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र हुआ करता था. जहां नक्सलवाद के साथ ही विस्थापन की एक बड़ी समस्या था. परंतु धनसिंह जलाशय में केज एक्वाकल्चर के अधिष्ठापन से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग विशेषकर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के समुदाय को स्थानीय स्तर पर रोजगार एवं आजीविका का साधन उपलब्ध हो रहा है. जो जिला प्रशासन का एक बेहतरीन और सराहनीय कार्य है. धनसिंह जलाशय के बाद जिले के अन्य जलाशयों में भी केज एक्वाकल्चर को बढ़ावा देने पर विचार किया जा रहा है.

2.16 लाख किग्रा मछली का उत्पादन होगा

धनसिंह जलाशय के केज में पिछले वर्ष अक्टूबर माह में मत्स्य बीज संचयन किया गया था. वर्तमान में मछलियों की औसतन वजन 600 से 700 तक है. आने वाले दो माह के अंदर मछलियां बाजार में बिक्री के लिए तैयार हो जायेगी. प्रत्येक केज में लगभग 4500 किग्रा मछली और सभी 48 केज में 2.16 लाख किग्रा मछली उत्पादन की संभावना है. जिससे मत्स्य पालक किसानों को दो से तीन करोड़ रुपये की आमदनी होगी. बाजार में मछलियों की बिक्री के लिए भी आवश्यक तैयारियां कर ली गयी है.

Also Read: प्रभात खबर की पहल के बाद गुमला के हड़डुबा गांव में लगा जनता दरबार, आजादी के बाद पहली बार पहुंचा प्रशासन
400 से अधिक लोग हो रहे लाभान्वित

धनसिंह जलाशय में अधिष्ठापित केज एक्वाकल्चर का प्रतिफल क्षेत्र के मत्स्य पालक किसानों को मिल रहा है. धनसिंह जलाशय में मत्स्य पालन के लिए पांच एसएचजी (स्वयं सहायता समूह) एवं एक मत्स्य जीवी सहयोग समिति बनाया गया है. जिसमें 400 से भी अधिक ग्रामीण परिवार प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं.

Also Read: रांची में इस दिन से शुरू होगा इंडिया इंटरनेशनल मेगा ट्रेड फेयर, राज्यपाल CP राधाकृष्णन करेंगे उद्घाटन
बत्तख व झींगा पालन को बढ़ावा

गुमला जिले में मत्स्य पालन के क्षेत्र में राज्य योजना अंतर्गत तालाब एवं जलाशयों में बत्तख सह मछली पालन तथा निजी क्षेत्र के तालाबों में झींगा पालन को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके साथ ही प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना अंतर्गत मात्स्यिकी क्षेत्र में ग्रो आउट तालाब निर्माण, बायोफ्लॉक तालाब निर्माण, बायोफ्लॉक टैंक निर्माण, फीस कियोस्क जैसी योजनाओं पर भी फोकस कर कार्य किया जा रहा है.

You May Like

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

अन्य खबरें