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आखिर हाकिम इलाज करने से क्यों कतरा रहे?

सरकारी हस्ताक्षर की कीमत पांच हजार रुपये हर घोटाले की जांच, कार्रवाई ठन-ठन गोपाल दुर्जय पासवान गुमला : गुमला जिला सुर्खियों में है. सुर्खियों की वजह भ्रष्टाचार व कमीशनखोरी है, क्योंकि गुमला में भ्रष्टाचार चरम पर है. कमीशनखोरी चल रही है. कई मामलों में जांच हुई है. जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी. भ्रष्टाचार का मामला […]

सरकारी हस्ताक्षर की कीमत पांच हजार रुपये

हर घोटाले की जांच, कार्रवाई ठन-ठन गोपाल

दुर्जय पासवान

गुमला : गुमला जिला सुर्खियों में है. सुर्खियों की वजह भ्रष्टाचार व कमीशनखोरी है, क्योंकि गुमला में भ्रष्टाचार चरम पर है. कमीशनखोरी चल रही है. कई मामलों में जांच हुई है. जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी. भ्रष्टाचार का मामला सही पाया गया, पर दोषी बच रहे हैं. खुलेआम घूम रहे हैं.

आखिर दोषी ऐसा क्यों न करें. कार्रवाई तो होती नहीं है. सभी मस्त हैं. जिनपर जिले की सवा लाख जनता को भरोसा है, वे हाकिम भी इनका इलाज नहीं कर रहे हैं. विकास योजनाओं की जो स्थिति है, उसमें कागजों पर काम फटाफट पूरा हो रहा है. पर धरातल पर सब ठन-ठन गोपाल है. गुमला की स्थिति तो ऐसी बन गयी है कि बिना लेनदेन के कोई काम नहीं हो रहा है. कागज पर हस्ताक्षर करने की कीमत पांच हजार रुपये तय हो गयी है. यह कीमत बड़े लोगों की है. छोटे हाकिमों की कीमत कुछ अलग है.

अब बड़े हाकिम क्या करें. उन्हें लगता है सब ठीक हो रहा है. उनके नाम को भी खूब भंजाया जा रहा है. हाकिम इसी में खुश हैं. कहीं तो चर्चा में हैं. नगर परिषद की बात करते हैं. मलिन बस्ती आवास योजना घोटाला हुआ. डस्टबिन खरीद घोटाला हुआ. राजस्व वसूली में घोटाला हुआ. गरीब जनता को भी बख्शा नहीं गया. प्रधानमंत्री आवास योजना शुरू हुई, तो कईयों को कमाने की जरिया मिल गया. खूब कमीशनखोरी चली. इसकी शिकायत आयी. हमारे एक अधिकारी ने पूरी ईमानदारी से जांच की. रिपोर्ट ऐसी कि कार्रवाई होनी तय है. जांच रिपोर्ट भी प्रस्तुत की. पर मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है. एक साल पहले की बात है.

मैट्रिक व इंटर परीक्षा में कदाचार का मामला. विद्यार्थियों से मोटी रकम वसूल कर अवैध कमाई का धंधा. सिर्फ ट्यूशन पढ़ कर परीक्षा में अच्छे अंक लाकर पास होने का खेल. मामला बड़ा था. इसकी भी जांच हुई. इस अवैध कमाई के खेल के चक्कर में 22 विद्यार्थियों को परीक्षा से वंचित होना पड़ा और उनका एक साल बरबाद हो गया. इसकी भी जांच हुई थी. इसमें कई स्कूल व शिक्षकों को सीधे दोषी पाया गया था.

जांच अधिकारी ने एफआइआर के लिए अनुशंसा की थी, लेकिन जांच रिपोर्ट नीचे से ऊपर तक पहुंचने में दब गयी. ऐसे जिले के एक बड़े हाकिम जी का कहना है, जांच रिपोर्ट कार्रवाई के लिए राजधानी भेज दी गयी है. कार्रवाई का मामला वहीं से लटका है. अब बाजार में चर्चा है. जांच कराओ और माल खाओ. यही गुमला में अभी चल रहा है. डोभा निर्माण में भी खूब गड़बड़ी हुई. वर्षों पुराने तालाब को नया डोभा बनाया गया. कई जगह मशीन का इस्तेमाल हुआ. इसकी कई रिपोर्ट उजागर हुई. पर जांच के नाम पर वही ठन-ठन गोपाल.

पालकोट में बच्चों से मजदूरी करायी गयी. एक नेता ने मामला उजागर किया, पर रिश्तेदारी सामने आ गयी. मामला रफा-दफा हो गया. ऐसे बाजारों में खूब चर्चा है. जिले के हाकिम की मेहरबानी कुछ विशेष लोगों पर फूल बरसा रही है. गुमला की तसवीर बदलेगी या नहीं. अब नयी सुबह का इंतजार है. ऐसे अपने पुलिस विभाग का काम कमाल का हो रहा है. हाल में जिस प्रकार अपराध नियंत्रण हुआ है. लोग खूब प्रशंसा कर रहे हैं. पुलिस भी जनता की सुरक्षा के लिए जाग रही है.

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