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बेटा शहीद हुआ, तो आतंक के खिलाफ फूटा गुस्सा
गुमला : गुमला से 80 किमी दूर उरू गांव है. इसी गांव में मिशन टोली एक छोटा टोला है. यह चैनपुर प्रखंड के बारडीह पंचायत में आता है. गांव में 26 परिवार निवास करते हैं. इसमें एक घर शहीद के परिवार का भी है. यह गांव घने जंगल व ऊंचे पहाड़ों के बीच है. रास्ता […]
गुमला : गुमला से 80 किमी दूर उरू गांव है. इसी गांव में मिशन टोली एक छोटा टोला है. यह चैनपुर प्रखंड के बारडीह पंचायत में आता है. गांव में 26 परिवार निवास करते हैं. इसमें एक घर शहीद के परिवार का भी है. यह गांव घने जंगल व ऊंचे पहाड़ों के बीच है. रास्ता टूटा हुआ, बोल्डर पत्थर निकला है. बड़ी मुश्किल से गांव जाना पड़ता है. पूरा इलाका नक्सल प्रभावित है.
अक्सर नक्सली गांव में नजर आते हैं. कई बड़ी नक्सली घटनाएं इस क्षेत्र में घट चुकी हैं. प्रशासन गांव नहीं गया है. इसी गांव का वीर सपूत नायमन कुजूर उरी में आतंकी हमले में शहीद हो गया है. उरू गांव जो नक्सलियों के कारण खौफ में रहता है, परंतु जब गांव के बेटे नायमन के शहादत की जानकारी ग्रामीणों को हुई, तो पूरा गांव आतंक के खिलाफ बोला. लोगों में आतंक के खिलाफ गुस्सा देखा गया. नायमन की मौत की खबर से पूरा गांव शोक की लहर में डूब गया. आसपास गांव के कई लोग शहीद के घर पहुंचे और घटना की जानकारी ली. प्रभात खबर जब शहीद का घर पहुंचा, तो बड़ी भाभी बारेन बेक थीं. शहीद के पिता महानंद कुजूर रांची के लिए निकल गये थे.
फोन नहीं लगने से पत्नी थी परेशान
नायमन की पत्नी वीणा कुजूर अपने बेटे अभिनव व सास सुशांति के साथ रांची के कोकर खोराटोली में रहती हैं. कश्मीर के उरी में आतंकी हमले की सूचना पर उन्होंने नायमन को फोन लगाया, परंतु बात नहीं हुई, तो उन्होंने गुमला में अपने रिश्तेदारों को फोन की थी.
मां सुशांित का रो-रोकर बुरा हाल
बेटे नायमन की शहीद होने की जानकारी जैसे ही मां सुशांति कुजूर को हुई, वह रो पड़ी. वह बार बार अपने बेटे को देखने की इच्छा प्रकट कर रही थी. वहीं पिता महानंद कुजूर का भी रो रोकर बुरा हाल है. ऐसे वह बेटे की मौत की खबर पर जर्जर सड़क से होते हुए गुमला आये और रांची चले गये.
वीणा ने फोन कर जानकारी दी
भाभी राजेश्वरी देवी जो गुमला में रहती हैं, वह होमगार्ड की जवान है. उन्होंने बताया कि उसे नायमन की पत्नी वीणा ने फोन की और बताया कि नायमन का फोन नहीं लग रहा है. पता करने पर जानकारी मिली कि नायमन आतंकी हमले में शहीद हो गया है.
अधिकारियों के साथ डीसी ने बैठक की
गुमला. शहीद नायमन कुजूर के शव की दफन क्रिया उसके पैतृक गांव उरू में होगी. यह जानकारी डीसी श्रवण साय ने दी. डीसी सोमवार को अपने कार्यालय कक्ष में अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे थे. बैठक में एएसपी पवन कुमार सिंह, एसडीपीओ भूपेंद्र प्रसाद राउत, सीआरपीएफ-209 बटालियन के सहायक कमांडेंट विशाल सिंह व अन्य अधिकारी थे. शहीद के संबंध में पूरी जानकारी प्राप्त करने के बाद डीसी ने बताया कि 20 सितंबर को शहीद का शव रांची से गुमला लाया जायेगा. पर्यटन मंत्री अमर बाउरी पूरे सम्मान के साथ शहीद के शव को लेकर गुमला आयेंगे. गुमला से काफिले के साथ शव को लेकर चैनपुर के बाद उरू गांव ले जाया जायेगा. इसकी पूरी तैयारी कर ली गयी है. शहीद की पत्नी, बेटा, मां, पिता व अन्य रिश्तेदार रांची में हैं. वे भी साथ में आयेंगे. डीसी ने कहा कि शहीद के परिजनों को जो सुविधा व सरकारी लाभ है, वह सभी प्रशासन द्वारा दिया जायेगा. 20 सितंबर को गुमला जिला का पूरा प्रशासनिक महकमा शहीद का गांव जायेगा.
थाना बनाने में रोड़ा बने हुए हैं नक्सली
उरू गांव कुरुमगढ़ थाना में पड़ता है. यहां नया थाना भवन बनना है, लेकिन नक्सली थाना भवन बनाने में रोड़ा बने हुए हैं. इस क्षेत्र के लोग कहते हैं कि थाना बनने से नक्सलियों के आवागमन में प्रतिबंध लगेगा, इसलिए नक्सली नहीं चाहते हैं कि यहां थाना बने. ऐसे अभी कुरूमगढ़ स्कूल में अस्थायी रूप से थाना भवन चल रहा है. यहां पारा मिलिट्री फोर्स भी तैनात है.
माओवादियों का है खौफ
गांव में माओवादियों का खौफ है, इसलिए गांव की दीवारों में माओवादियों द्वारा लिखे गये स्लोगन को मिटाया नहीं गया है. अगस्त माह में ही शहीद दिवस को लेकर माओवादियों ने स्लोगन लिखा था. ग्रामीणों को धमकी दी गयी थी कि स्लोगन नहीं मिटाना है. इस कारण किसी ने मिटाने की हिम्मत नहीं जुटायी.
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