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गुम:: लीड6 फोटो है : कमाई का फंडा, हर साल कॉपी-किताब बदलती है

गुम:: लीड6 फोटो है : कमाई का फंडा, हर साल कॉपी-किताब बदलती है निजी स्कूल कर रहे हैं अभिभावकों का दोहनइंट्रो : गुमला में निजी स्कूल पैसा कमाने के लिए तरह तरह के फंडे का उपयोग कर रहे हैं. पहले री-एडमिशन के नाम पर पैसा वसूलते थे, अब नाम चेंज कर पैसा वसूल रहे हैं. […]

गुम:: लीड6 फोटो है : कमाई का फंडा, हर साल कॉपी-किताब बदलती है निजी स्कूल कर रहे हैं अभिभावकों का दोहनइंट्रो : गुमला में निजी स्कूल पैसा कमाने के लिए तरह तरह के फंडे का उपयोग कर रहे हैं. पहले री-एडमिशन के नाम पर पैसा वसूलते थे, अब नाम चेंज कर पैसा वसूल रहे हैं. हर तरह से अभिभावकों का पॉकेट कट रहा है.7 गुम 10 में शिशिर कुमार7 गुम 11 में हिमांशु केसरी7 गुम 12 में संदीप प्रसाद7 गुम 13 में विपिन सिंह7 गुम 14 में राज कुमार7 गुम 15 में वीरेंद्र पन्ना7 गुम 16 में अशोक जायसवाल7 गुम 17 में मोहम्मद सब्बूप्रतिनिधि, गुमलागुमला में निजी स्कूल मनमानी कर रहे हैं. बीते साल री-एडमिशन के नाम पर पैसा वसूला गया. हो हंगामा हुआ. अखबारों में मामला उठा, तो इस वर्ष री-एडमिशन का नाम बदल गया. अब वार्षिक चार्ज, पीपुल फंड, विल्डिंग फंड, बस भाड़ा, व्यंजन शुल्क, चिकित्सा शुल्क के नाम पर पैसा वसूला जा रहा है. स्कूल में ठेला लगा कर पिकनिक के नाम पर भी अवैध वसूली हो रही है. यहां तक कि कई स्कूल अपने ही कैंपस में दुकान खोल लिये हैं. पुस्तक, कॉपी, बैग, जूता व मोजा से लेकर बेल्ट तक बेच रहे हैं. कई बड़े स्कूल शहर के कुछ दुकानदारों से कमीशन तय कर लिये हैं. स्कूल में नामांकन और स्कूल द्वारा निर्धारित दुकान से ही कॉपी, पुस्तक, ड्रेस, बैग व अन्य सामान खरीदने के लिए अभिभावकों को बाध्य किया जा रहा है. किस प्रकार निजी स्कूल पैसा वसूल रहे हैं, इस संबंध में अभिभावकों ने प्रभात खबर को व्हाटस-अप के जरिये अपनी बात बतायी़ पिकनिक के नाम पर कमाई : अशोकलायंस क्लब गुमला के सचिव अशोक कुमार जायसवाल ने कहा : स्कूल प्रबंधन द्वारा स्कूल में ही पिकनिक का आयोजन किया जाता है. इसमें स्कूल के बाहर ठेला लगाने वाले को स्कूल के अंदर कर बच्चों को ठेला का सामान खिलाया जाता है. इसमें प्रति बच्चा 40 से 50 रुपये वसूला जाता है, जबकि पांच से छह साल का एक बच्चा ठेला का दस रुपये से ज्यादा सामान खा नहीं सकता. लेकिन स्कूलों ने अवैध कमाई का जरिया बना लिया है.निजी स्कूल मनमानी कर रहे हैं : शिशिरमेन रोड निवासी शिशिर कुमार कंगना ने कहा कि ऐसा लगता है, निजी स्कूल का एक ही मकसद है, अभिभावकों का पॉकेट काटना. बीते साल आंदोलन हुआ, तो री-एडमिशन का नाम बदल कर अन्य नामों से पैसा वसूला जा रहा है. ड्रेस, हर साल पुस्तक बदलने के नाम पर पैसा वसूला जा रहा है. कमाई का एक बड़ा हिस्सा स्कूल ले रहे हैं. कॉपी का अधिक पैसा लिया जा रहा : हिमांशुमेन रोड निवासी हिमांशु केसरी ने कहा कि गुमला के एक बड़े स्कूल ने तो हद कर दी है़ जो कॉपी बाजार में 10 से 15 रुपये में मिलती है, उसी कॉपी के लिए स्कूल द्वारा 25 से 30 रुपये लिये जा रहे हैं. जबकि बाजार में लेने पर दुकानदार 10 प्रतिशत लेस करके पैसा लेता है. बस में क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाया जाता है. 11500 रुपये वसूल रहा : विपिनजवाहर नगर के विपीन सिंह ने कहा : निजी स्कूलों ने शिक्षा को व्यवसाय बना लिया है. अभिभावकों पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है. गुमला के एक स्कूल द्वारा वार्षिक चार्ज, कॉपी, किताब, ड्रेस व जूता के मद में 11500 रुपये वसूला जा रहा है. कुछ बोलने पर स्कूल की प्राचार्या बच्चे को स्कूल से ले जाने की बात कहती हैं. स्थिति खराब है, किसी प्रकार बच्चों को पढ़ा रहे हैं. पीपुल फंड के नाम पर वसूली : सब्बूचेंबर के पूर्व अध्यक्ष मोहम्मद सब्बू ने कहा : अब री-एडमिशन की जगह वार्षिक चार्ज के नाम पर स्कूल प्रबंधन अवैध पैसा वसूल रहा है. भवन मरम्मत व नया स्कूल भवन बनाने के नाम पर एक से दो हजार रुपये लिये जा रहे हैं. स्कूल में बीपीएल बच्चे पढ़ते हैं, उनका पैसा भी हम अभिभावकों से पीपुल फंड के नाम पर चार सौ से एक हजार रुपये वसूला जा रहा है, जबकि सरकार से इनका पैसा मिलता है.सरकार टॉल फ्री नंबर जारी करें : राजवीर कुंवर सिंह कॉलोनी निवासी राज कुमार ने कहा : निजी स्कूल अभिभावकों को लूट रहे हैं. सरकार को इस दिशा में कदम उठाना चाहिए. टॉल फ्री नंबर जारी करें, ताकि संबंधित स्कूल के खिलाफ शिकायत की जा सके़ बिना निबंधन के कई स्कूल चल रहे हैं.हर साल कॉपी किताब बदलता है : शशिगुमला के शशि वीरेंद्र पन्ना ने कहा कि हर साल नये सत्र में स्कूल पैसा वसूलते हैं. कॉपी-किताब भी चेंज हो जाता है. एक क्लास की किताब दूसरे वर्ष में बदल जाती है. अभिभावक मंच का गठन करेंगे : संदीपडुमरडीह के संदीप प्रसाद ने कहा कि निजी स्कूल अभिभावकों का दोहन कर रहे हैं. सबसे बुरा हाल मध्यम व गरीब परिवारों का है. बच्चे के भविष्य को देखते हुए निजी स्कूलों में नामांकन करा दिये हैं] लेकिन सालाना फीस इतना है कि अभिभावकों के सामने आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गयी है. अगर निजी स्कूल शिक्षा के व्यवसाय पर रोक नहीं लगाते हैं, तो मजबूरन अभिभावक मंच का गठन कर आंदोलन करेंगे.इन सुविधाओं पर ले रहे पैसावार्षिक चार्ज : 2500-5000 रुपयेपीपुल फंड : 400 से 1000 रुपयेविल्डिंग फंड : एक से दो हजार रुबस भाड़ा : 500 से 650 रु/ बच्चाव्यंजन शुल्क : 50 से 100 रु/ बच्चाचिकित्सा शुल्क : 200-250 रु/ बच्चा अभिभावकों ने जैसा बताया रेटसामग्री बाजार मूल्य स्कूल मूल्यजूता मोजा 150-200 300-350ड्रेस 200-400 400-800कॉपी 10-20 30-50पुस्तक 40-80 100-200बेल्ट 20-30 40-60डायरी 40-50 60-80बैग 100-150 200-300

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