गुमला : कलश स्थापना के साथ जिले भर में नवरात्र का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चरण के साथ प्रारंभ हुआ. शहर के बंगाली क्लब, शक्ति संघ मंदिर, श्री बड़ा दुर्गा मंदिर, बड़ाइक मंदिर, रौनियार बाल मंदिर सहित जिले के विभिन्न देवालयों में कलश स्थापना की गयी. क्षेत्र मां भगवती के भजनों से गुंजायमान हो उठा.
शक्ति मंदिर के आचार्य पंडित हरि शंकर मिश्र ने बताया कि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्र का शुभारंभ सभी मंदिरों व देवालयों में किया गया है. मार्कण्डेय पुराण के अनुसार प्रतिपदा से आरंभ होकर नवमी तक नवरात्र कहा जाता है. इसमें माता दुर्गा देवी के नौ रूपों की पूजा–अर्चना पूरे विधान के साथ की जाती है. प्रथम दिन शैलपुत्री के रूप का ध्यान एवं पूजा–अर्चना कर कलश स्थापना किया गया है.
श्री मिश्र ने बताया कि हिमालय की तपस्या व प्रार्थना से प्रसन्न होकर कृपा पूर्वक उनकी पुत्री के रूप में मां दुर्गा ने शैलपुत्री के रूप में जन्म लिया. इसी निमित मां दुर्गा का एक नाम गिरिराज हिमालय की पुत्री होने के कारण शैलपुत्री पड़ा. नवरात्र के प्रथम दिन कलश स्थापना के साथ पार्वती देवी के रूप का ध्यान एवं पूजन किया जाता है.
दुर्गा सप्तशती का पाठ पूरे विधि विधान के साथ पंडित हरिशंकर मिश्र व सहयोगी अमित पुरी द्वारा संपन्न कराया गया. वहीं दूसरी ओर बड़ा दुर्गा मंदिर गुमला परिसर में पंडित यमुना पांडेय, हरि शंकर त्रिपाठी व देवेंद्र तिवारी द्वारा पूरे वैदिक मंत्रोच्चरण के साथ नवरात्र के प्रथम दिन शैलपुत्री की पूजा संपन्न करा कर कलश स्थापना किया गया.
सुंदर सत्संग भवन गुमला द्वारा रामायण पाठ का आयोजन किया गया. इस मौके पर सरयू प्रसाद साहू, सत्यनारायण पटेल, भगवान दास गुप्ता, विशेश्वर प्रसाद, विनोद गुप्ता, दीपक सिन्हा, विजय शंकर दास, सुनील विश्वकर्मा, अमरेंद्र गुप्ता, संध्या कुमारी, ऋतु कुमारी, संगीता कुमारी सहित कई सनातन धर्मावलंबी उपस्थित थे.