–ओमप्रकाश/अश्विनी–
जिले के कस्तूरबा आवासीय विद्यालयों की स्थिति चिंतनीय
गुमला : गुमला जिले में कस्तूरबा आवासीय बालिका उच्च विद्यालयों की स्थिति दयनीय है. अभी तक कई विद्यालयों का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो सका है. जिले में 12 प्रखंडों में कुल 10 कस्तूरबा गांधी विद्यालय का निर्माण किया जाना था. जिसमें गुमला व बसिया में भूखंड नहीं मिलने के कारण कार्य अभी तक प्रारंभ नहीं हो सका है.
चैनपुर व जारी में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय नहीं है. जिन विद्यालयों का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है उसमें भरनो, घाघरा, बिशुनपुर, डुमरी व सिसई शामिल हैं. कई विद्यालयों का भवन सुनसान स्थानों पर बनाया गया है. इसके कारण छात्राओं में भय बना रहता है. कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय उवि विद्यालय, भरनो की स्थिति ठीक नहीं है.
यह भरनो मुख्यालय से करीब डेढ़ किमी दूर निजर्न स्थान पर बनाया गया है. यह विद्यालय आधा–अधूरा बना है. विद्यालय की प्राक्कलित राशि 40 लाख रुपये थी. विद्यालय का निर्माण कार्य 2004 में होना था, लेकिन कार्य 2007 में प्रारंभ हुआ. विद्यालय का ऊपरी तल्ला का काम आधा अधूरा है.
भरनो व डुमरी को छोड़ कर सभी विद्यालयों की प्राक्कलित राशि दो करोड़ 53 लाख की है. घटिया काम को लेकर दो दिन पूर्व ही डीसी वीणा श्रीवास्तव ने जांच का आदेश जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के निदेशक रंजना बम्र्मन को दिया था. उन्होंने जांच कर रिपोर्ट डीसी को प्रेषित कर दी है. विगत कई वर्ष से विद्यालय विभिन्न समस्याओं से ग्रसित है.
पूर्व में विद्यालय का निरीक्षण भाजपा सांसद सुदर्शन भगत, गुमला विधायक कमलेश उरांव, सिसई विधायक गीताश्री उरांव व प्रखंड के प्रमुख हरिनंदन ओहदार सहित विभाग के कई अधिकारियों द्वारा किया जा चुका है. निरीक्षण के क्रम में उक्त सभी नेताओं ने विद्यालय भवन निर्माण में बरती गयी अनियमितता की जानकारी अधिकारियों को दी थी.
निरीक्षण के क्रम में विद्यालय भवन में पड़ी दरार को देख सभी भवन निर्माण समिति पर बिफरे थे. परंतु विद्यालय भवन की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो सका. विद्यालय भवन का निर्माण वर्ष 2007-08 में प्रारंभ किया गया था, जो अबतक बन कर पूर्ण नहीं हो सका है. इस मद में 40 लाख रुपये आवंटित किया गया था. इसमें 38 लाख 85 हजार 403 रुपये खर्च किये जा चुके हैं. मात्र एक लाख 14 हजार 597 रुपये शेष बचे हैं. भवन का बिम दबने के कारण ईंट की दीवार के सहारे उसे खड़ा किया गया है. जहां दरार पड़ने के कारण दीवार हिलने लगी है, यह कभी भी गिर सकता है. साथ ही छात्राओं के साथ कोई बड़ी घटना हो सकती है.
अखबार ने इस समाचार को प्रमुखता के साथ 15 जनवरी व एक फरवरी 2012 के अंक में प्रकाशित कर जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया था. जिले के तत्कालीन उपायुक्त राहुल शर्मा ने दो हॉल को खाली कराने का आदेश तत्कालीन बीडीओ को दिया था. बीडीओ ने त्वरित कार्रवाई करते हुए हॉल को खाली करा दिया.
छात्राओं को अध्ययन कक्ष में शिफ्ट करा दिया गया. विद्यालय के ऊपरी तल्ले के कमरों में खिड़की– दरवाजे नहीं लगे हैं. भवन का सीढी रूम व कई दीवारों का प्लास्टर अभी बाकी है.विद्यालय में चार शौचालय हैं, जिसमें एक मात्र ठीक है. कस्तूरबा बालिका आवासीय विद्यालय की स्थिति बहुत ही खराब है. यहां रहने वाली छात्राओं की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है.
छात्रावास में खिड़की– दरवाजे नहीं हैं. यही नहीं, छात्राएं जमीन पर सोने को मजबूर हैं. विद्यालय में गणित की शिक्षिका न होने से छात्राओं की पढ़ाई भगवान भरोसे चल रही है. विद्यालय में लगभग 235 छात्राएं हैं.विद्यालय में शिक्षकों का स्वीकृत पद चार है. गणित को छोड़ शेष शिक्षक कार्यरत हैं. विद्यालय में कक्षा छह से इंटर तक की पढ़ाई होती है.
प्रारंभ में कक्षा छह से 10 तक की छात्राओं को पढ़ाना था. बालिकाओं के लिए मात्र 46 बेड आवंटित किये गये हैं. एक बेड पर दो छात्राएं सोती हैं. शेष बालिकाएं चटाई व गद्दा बिछा कर रात में सोती हैं. विद्यालय भवन के ऊपरी तल्ले में दरवाजे–खिड़की नहीं लगा है. ठंड के मौसम में बालिकाएं खिड़की व दरवाजे में चटाई टांग कर रहती हैं.