गुमला : दागी सांसदों व विधायकों की सदस्यता पर खतरा मंडराता देख केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश को लेकर कैबिनेट में प्रदान की गयी मंजूरी को लेकर सभी तबके के प्रबुद्धजनों ने जोरदार विरोध प्रकट किया है.
इस संबंध में प्रभात खबर ने प्रबुद्धजनों से पूछे जाने पर कार्तिक उरांव महाविद्यालय के प्रो यूपी साहू ने कहा कि सरकार कैबिनेट में दागी मंत्रियों को प्रश्रय दे रही है. देश की नींव ही भ्रष्ट हो तो ढांचा कितना मजबूत रहेगा. साफ छवि को ही राजनीति में स्थान मिलना चाहिए. प्रो एजे खलखो ने कहा कि राजनीति सेवा भाव का कार्य है.
सरकार एक चपरासी की बहाली के लिए शैक्षणिक योग्यता खोजती है, तो राजनीतिज्ञों के लिए योग्यता क्यों न हो. प्रो हेमेंद्र कुमार भगत ने कहा कि दागी मंत्रियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक फैसला था. सोमा उरांव ने कहा कि राजनीतिक पार्टियां पढ़े–लिखे व स्वच्छ छवि वाले उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारे. बार एसोसिएशन के अध्यक्ष स्वरूप कुमार ने कहा कि कैबिनेट में बिल पास कर दागी मंत्रियों व विधायकों को चुनाव लड़ने की सहमति मिलना देश की स्मिता के साथ खिलवाड़ है.
अधिवक्ता डीएन ओहदार ने कहा कि बिल लाना सरकार की मजबूरी है. बिल नही लाने से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दागी मंत्रियों व विधायकों की सदस्यता समाप्त हो जाती. केंद्र द्वारा दागी मंत्रियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए बिल लाया गया. यह देश के लिए दुर्भाग्य की बात है. अधिवक्ता राकेश किरण ने कहा कि सरकार द्वारा बिल को पारित कर दागी मंत्रियों व विधायकों की सदस्यता को बचाया जा रहा है.
शिक्षक विनय रंजन ने कहा कि दागी मंत्रियों को देश की चिंता कम व अपनी चिंता ज्यादा है. ऐसे दागियों को मंत्रीमंडल में नहीं आना चाहिए. अध्यादेश लाकर केंद्र सरकार उन्हें संरक्षण देने का कार्य कर रहीं है. इसमें जनता को शामिल करने की आवश्यकता है.