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गुमला जेल कथा : जमाना 4G का है, परंतु गुमला जेल में लगा है 2G जैमर

दुर्जय पासवान, गुमला समय बदल रहा है. टेक्नोलॉजी भी बदल रही है. मोबाइल की बात करें तो अब जमाना फोर-जी का है. कुछ दिनों के बाद हम फाइव-जी की जिंदगी जीने लगेंगे. ठीक इसके विपरीत अभी भी गुमला जेल टू-जी मोबाइल के जमाने में जी ही चल रहा है. गुमला जेल में वर्षों पूर्व टू-जी […]

दुर्जय पासवान, गुमला

समय बदल रहा है. टेक्नोलॉजी भी बदल रही है. मोबाइल की बात करें तो अब जमाना फोर-जी का है. कुछ दिनों के बाद हम फाइव-जी की जिंदगी जीने लगेंगे. ठीक इसके विपरीत अभी भी गुमला जेल टू-जी मोबाइल के जमाने में जी ही चल रहा है. गुमला जेल में वर्षों पूर्व टू-जी जैमर लगाया गया था. ताकि यहां मोबाइल का उपयोग कोई बंदी नहीं कर सके.

जबतक टू-जी मोबाइल का उपयोग होता रहा. जेल के अंदर किसी भी प्रकार के मोबाइल की घंटी नहीं बजती थी. यहां तक कि जेल से सटे आबाद घरों में भी टू-जी मोबाइल काम नहीं करता था. जबतक टू-जी मोबाइल रहा. जेल के अंदर किसी भी प्रकार का मोबाइल का उपयोग नहीं होता था. परंतु जैसे ही जमाना थ्री-जी व फोर-जी का आया. गुमला जेल का टू-जी जैमर बेकार हो गया.

जेल में लगा टू-जी जैमर अब मशीनी डब्बा बनकर रह गया है. इधर, टू-जी जैमर के काम नहीं करने के बाद जेल प्रशासन गुमला ने कई बार जेल आईजी को पत्र लिखकर गुमला मंडल कारा में फोर-जी जैमर लगाने की मांग की है. परंतु अभी तक सरकार के स्तर से मंडल कारा गुमला में फोर-जी जैमर लगाने की प्रक्रिया शुरू नहीं की गयी है.

जेल में छापामारी की संख्या बढ़ायी

फोर-जी जैमर नहीं लगने से जेल प्रशासन को आंतरिक सुरक्षा को लेकर हर समय सचेत रहना पड़ता है. यहां बता दें कि पहले जेल के अंदर से लगातार लेवी व रंगदारी की मांग को लेकर ठेकेदार, व्यापारी व अन्य लोगों को फोन कॉल आता था. इस प्रकार के कई केस आये थे. थाने में कुछ मामलों में पूर्व में केस भी दर्ज है.

इस समस्या से निपटने के लिए जेल प्रशासन ने फोर-जी जैमर नहीं मिलने के बाद जेल के अंदर छापामारी करने की संख्या बढ़ा दी. जेल प्रशासन के अनुसार अब महीने में 15 से 16 दिन छापामारी होती है. जेल के अंदर आठ वार्ड हैं. सभी वार्ड में छापामारी की जाती है. इस छापामारी में गुमला जिला पुलिस प्रशासन से सहयोग लिया जाता है.

पहले कहा जाता था कि जेल के अंदर मोबाइल, खैनी, सिगरेट व अन्य वस्तु भेजा जाता था. परंतु अब गुमला जेल की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. लगातार छापामारी के कारण अब बंदियों के पास किसी भी स्थिति में कोई भी आपत्तिजनक सामान नहीं पहुंच रहा है.

घनी आबादी के बीच है जेल

गुमला जेल घनी आबादी के बीच में है. जिस समय जेल की स्थापना हुई थी. उस समय आबादी कम थी. गिने चुने घर थे. परंतु समय के साथ करमटोली, शास्त्री नगर व आसपास के मुहल्लों में आबादी बढ़ने के बाद घरों की संख्या बढ़ गयी है. जेल प्रशासन का कहना है कि पूर्व में जेल आईजी को पत्र लिखकर गुमला जेल को शहर से हटाने की मांग की गयी थी.

इसके लिए शहर से तीन चार किमी दूर कहीं पास जमीन खोजकर जेल बनाने की बात हुई थी. परंतु गुमला प्रशासन द्वारा जमीन उपलब्ध नहीं कराया गया. जिस कारण जेल अभी भी शहरी क्षेत्र में ही है. अब यहां से जेल हटाना भी मुश्किल है. क्योंकि यहां करोड़ों रुपये की लागत से अतिरिक्त जेल भवन, अस्पताल, प्रशासनिक भवन का निर्माण हो रहा है.

फोर-जी जैमर से लाभ

अगर जेल में फोर-जी जैमर लग जाता है तो जेल के अंदर से कभी कभार आने वाले फोन बंद होंगे. यहां किसी प्रकार के फोन का उपयोग नहीं होगा. चाहकर भी कोई जेल के अंदर फोन का उपयोग नहीं कर पायेंगे.

फोर-जी जैमर से हानि

अगर जेल में फोर-जी जैमर लग जाता है तो जेल से सटे लोगों को फोन से बात करने में परेशानी होगी. साथ ही जेल के समीप कई सरकारी अधिकारी के क्वार्टर है. सरकारी अधिकारियों के फोन भी प्रभावित होंगे.

गुमला मंडल कारा में अभी भी टू-जी जैमर लगा है. दो जैमर है. परंतु यह बेकार साबित हो रहा है. क्योंकि अब सभी लोग फोर-जी मोबाइल का उपयोग करते हैं. जेल प्रशासन ने जेल आईजी को पत्र लिखकर फोर-जी जैमर की मांग की गयी है.

अरूण कुमार शर्मा, प्रभारी जेलर, गुमला जेल

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