दुर्जय पासवान, गुमला
पुलवामा में हुए शहीद विजय सोरेंग के पिता बिशु सोरेंग ने नक्सलियों को खुली चुनौती देते हुए कहा है कि राज्य की जनता डरे नहीं. खुलकर वोट करें. नक्सलवाद के खिलाफ जबतक वोट नहीं होगा. राज्य व देश की तरक्की नहीं होगी. श्री सोरेंग रविवार को अपने घर बसिया प्रखंड के फरसामा गांव में प्रभात खबर से बात कर रहे थे. श्री सोरेंग गांव में ही रहकर खेतीबारी का काम देख रहे हैं. वे खुद सेना के जवान रह चुके हैं. 18 साल सेना व 19 साल सीआईएसएफ में नौकरी की है.
उन्होंने कहा है कि झारखंड उन्नत राज्य की ओर अग्रसर है. इन पांच सालों में काफी हद तक नक्सलवाद खत्म हुआ है. झारखंड नक्सलमुक्त राज्य बन रहा है. इस विधानसभा चुनाव में अच्छा अवसर है. हम सभी नक्सलवाद के खिलाफ वोट करें. श्री सोरेंग ने कहा कि मेरे लिए मेरी जान से ज्यादा प्यारा राज्य व देश है. इसलिए मैं वोट करूंगा. गांव व पूरे राज्य के लोगों से भी अपील है. वोट करें.
10 लाख मिला, परंतु घोषणा नहीं हुई पूरी
शहीद के पिता बिशु सोरेंग ने कहा कि सरकार की ओर से 10 लाख रुपये शहीद की पत्नी को मिला है. यह पैसा भी लेने के लिए मुझे सीएम से मिलना पड़ा. तब लाकर सीएम ने पैसा दिलवाया. लेकिन दुख इस बात की है कि मंत्रालय ने जो घोषणा की थी. वह अभी तक पूरी नहीं हुई है. घोषणा के अनुसार विधायक, सांसद, मंत्री व मंत्रालय में काम करने वाले पदाधिकारी व कर्मचारियों ने एक-एक दिन का वेतन शहीद के परिजन को देने की बात कही थी.
बीसीसीएल व एसीसीएल ने भी घोषणा की थी. परंतु घोषणा मीडिया तक सीमित रहा. उसे अमलीजामा नहीं पहनाया गया. उन्होंने कहा कि अगर सरकार सजग रहती तो जरूर अभी तक लाभ मिल जाता. उन्होंने यह भी कहा कि फिल्मी दुनिया के हीरो, हीरोईन, हाईकोर्ट सहित कई सरकारी विभाग ने पुलवामा शहीदों के परिवार की मदद के लिए पैसा दिया था. जिसे पीएम राहत कोष में जमा किया गया है. परंतु अभी तक वह राशि शहीदों को नहीं मिली है.
शहीद के पिता की सरकार से अपील
शहीद के पिता बिशु सोरेंग ने सरकार से अपील किया है कि हम तो मतदान करेंगे. लोकतंत्र को मजबूत भी करेंगे. सरकार भी बनायेंगे. मतदान का बहिष्कार का विरोध भी करेंगे. लेकिन सरकार से एक ही अपील है. हमारे गांव की जो समस्या है. उसे भी दूर करें. श्री सोरेंग ने कहा कि फरसामा गांव में पीने के पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है. गरमी के दिनों में लोगों को पानी के लिए भटकना पड़ता है.
एक साल पहले गांव में तीन किमी पक्की सड़क तीन करोड़ रुपये की लागत से बनी थी. परंतु यह सड़क बनते के साथ उखड़ने लगी है. या तो कुछ जगह सड़क ही नहीं बनायी गयी है. पानी व सड़क के अलावा सिंचाई, गरीबों को पेंशन, पक्का आवास, शौचालय की भी समस्या है. जिसका समाधान होना चाहिए. हम इसलिए वोट देते हैं कि हमारे गांव का विकास हो. अगर विकास नहीं होगा तो लोगों के मन में भ्रम पैदा होगी कि सरकार काम नहीं कर रही है. इसलिए अपील है. गांव की समस्या को दूर करें.