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Thursday, March 28, 2024

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गुमला : 12 साल बाद दिल्‍ली में मिली असुर जनजाति की बेटी, बात कर भावुक हुए माता-पिता

।। दुर्जय पासवान ।। गुमला : बारह साल बाद परिवार से बिछड़ी चरिया असुर दिल्ली में एक घर में काम करती मिली है, लेकिन जब उसे पता चला कि उसके परिवार के लोग गुमला में हैं तो वह अपने माता-पिता से मिलने को आतुर है.माता-पिता भी अपनी बिछड़ी बेटी से मिलने के लिए आंखें बिछाये […]

।। दुर्जय पासवान ।।

गुमला : बारह साल बाद परिवार से बिछड़ी चरिया असुर दिल्ली में एक घर में काम करती मिली है, लेकिन जब उसे पता चला कि उसके परिवार के लोग गुमला में हैं तो वह अपने माता-पिता से मिलने को आतुर है.माता-पिता भी अपनी बिछड़ी बेटी से मिलने के लिए आंखें बिछाये हुए हैं. बिछड़ी बेटी को उसके परिवार से मिलाने के लिए डीएलएसए गुमला के सचिव विनोद कुमार ने पहल शुरू कर दी है.

सीडब्ल्यूसी गुमला के चेयरमैन शंभु सिंह के माध्यम से दिल्ली में कार्यरत शक्तिवाहिनी संस्था के ऋषिकांत से फोन पर बात हुई है.ऋषिकांत ने कहा है कि वह चरिया को सुरक्षित गुमला पहुंचाने की व्यवस्था कर देंगे. वहीं दिल्ली के प्रवीण मिश्रा के जिस घर में चरिया अभी काम कर रही है. घर मालिक भी चरिया को उसके माता-पिता से मिलाने में लगे हुए हैं.

* चरिया की अपने परिवार से बिछड़ने की कहानी

चरिया असुर का घर गुमला जिला स्थित बिशुनपुर प्रखंड के गुरदरी पीढ़ापाठ गांव है. उसके पिता का नाम तानिश असुर व मां का नाम बुद्धनी असुर है. पांच भाई बहनों में चरिया एकलौती बेटी है. उसके चार भाई है. चरिया की उम्र जब आठ साल था. तभी गांव का भीखा असुर उसे घुमाने दिल्ली ले गया. तभी चरिया दिल्ली में कहीं खो गयी. अपना पेट पालने के लिए वह कम उम्र में घरों में बर्तन धोने का काम करने लगी. जब 18 साल की उम्र हुई तो वह दिल्ली के प्रवीण मिश्रा के घर में काम करने लगी. प्रवीण मिश्रा ने चरिया से उसके घर के बारे में जानकारी ली. तब चरिया ने अपने घर का पता बतायी.

* इस प्रकार बिछड़ी चरिया असुर मिली

चरिया ने जब घर मालिक प्रवीण मिश्रा को अपने बारे में जानकारी दी. तब श्री मिश्रा ने गुमला के जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव विनोद कुमार के मोबाइल पर संपर्क किये. श्री मिश्रा ने चरिया का घर का पूरा पता की जानकारी देते हुए उसके माता पिता को खोजने की अपील की. इसके बाद विनोद कुमार ने एक बेटी को उसके परिवार से मिलाने के लिए गुमला पुलिस का सहारा ली.गुरदरी थाना के एसआई चंद्रदेव पाल पीढ़ापाठ गांव पहुंचकर उसके माता पिता को खोजा. हर पहलुओं पर पूछताछ की. जब यह पता चला कि चरिया ही तानिश असुर की बेटी है तो बुधवार को मां, पिता व भाई को गुमला लाया गया. जहां डीएलएसए सचिव विनोद कुमार ने पूरे मामले की जांच की. जांच के बाद मां, पिता व भाई से फोन से चरिया की बात करायी गयी.

* 12 साल बाद बेटी से बात कर भावुक हुए माता-पिता

12 साल बाद फोन पर चरिया से बात कर माता-पिता भावुक हो गये. वे लोग अपनी बेटी से मिलने की गुहार लगाये. चरिया भी अपने माता-पिता व भाईयों से मिलने के लिए गुमला आने को आतुर लगी. डीएलएसए सचिव ने कहा कि 15 दिन के अंदर चरिया को गुमला लाकर उसके गांव भेजा जायेगा. जहां वह अपने परिवार के साथ रह सकती है.

* गरीबी में जी रहा तानिश असुर का परिवार

तानिश असुर विलुप्त प्राय आदिम जनजाति है. एक बिरसा आवास मिला है. वह भी अधूरा है. पत्नी बुद्धनी असुर को वृद्धावस्था पेंशन मिलता है. उसी से घर की जीविका चलता है. गरीबी के कारण तानिश के तीन बेटे भीखराम असुर (25 वर्ष), धनेश्वर असुर (16 वर्ष) व गोपाल असुर (14 वर्ष) पढ़ाई नहीं कर सके. छोटा बेटा बुद्धवा असुर जो 12 साल का है. वह गांव के स्कूल में जाता है.

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