27 दिन + गाड़ी की रफ्तार + 19 हादसे = 29 लोगों की मौत. इसके अलावा 150 से अधिक लोग घायल हुए हैं. हालांकि इलाज के बाद घायलों की स्थिति ठीक है. यह आंकड़ा गुमला जिला का है. पूर्व की वर्षो की अपेक्षा जनवरी माह में यह सबसे अधिक हादसे और मौत है. इस प्रकार के हादसे व मौत पूर्व के वर्षो में कभी नहीं हुआ है. गुमला में लगातार वाहनों की रफ्तार लोगों की जान ले रही है. लेकिन गुमला में वाहनों की रफ्तार पर रोक नहीं लग रही है. हेलमेट नहीं पहनने से भी बाइक सवार युवकों की जान जा रही है. मोटर साइकिल सवार 10 युवक मर चुके हैं. ये लोग हेलमेट नहीं पहने थे. इसलिए जब किसी गाड़ी से टकरा कर सड़क पर गिर रहे हैं तो इनकी जान सिर पर गंभीर चोट लगने से जा रही है. इसके बाद भी गुमला के युवक हेलमेट पहन नहीं रहे हैं.
अगर सड़क हादसों का आंकड़ा देंखे तो भरनो प्रखंड के पलमाडीपा में 15 जनवरी की रात को बालू लदी ट्रक ने टेंपो को धक्का मार दिया था. जिसमें टेंपो में सवार 16 में से 13 लोगों की दर्दनाक मौत हो गयी थी. अभी भरनो की घटना का गम कम हुआ भी नहीं था कि पालकोट प्रखंड के काली मंदिर के समीप तेज रफ्तार बस की चपेट में आने से दो स्कूली छात्रों की दर्दनाक मौत हो गयी थी. इसके बाद से लगातार गुमला में सड़क हादसे होते रहे और युवकों जान जा रही है.
घाघरा में गाड़ी की चपेट में आने से दो युवकों की मौत, सिसई में सब्जी लदी ट्रक की चपेट में आने से दो युवक व रायडीह में तेज रफ्तार बस की चपेट में आने से दो युवकों की मौत हुई. वहीं 24 जनवरी को गुमला से आठ किमी दूर खोरा चैरअंबा मोड़ के पास बस व ट्रक में भिड़ंत हुई थी. जिसमें बस जलकर राख हो गया था. भगवान का शुक्र था कि सभी यात्री बस से कूदकर भागकर जान बचाये थे. लेकिन इस हादसे में ट्रक चालक की दर्दनाक मौत हो गयी थी. सबसे बड़ी घटना शनिवार को रायडीह के टुडुरमा में हुई. जहां बस ने दो युवकों को कुचलने के बाद बस पलट गयी. दोनों युवक मर गये. यहां भी भगवान ने साथ दिया कि बस पलटने के बाद किसी की जान नहीं गयी. सिर्फ यात्री घायल हुए.