जांच में स्पष्ट है कि 14वें वित्त आयोग की राशि से पानी टैंकर नहीं खरीदना है, लेकिन मुखियाओं ने अपने लाभ व कमीशन खाने के चक्कर में पानी टैंकर की खरीदारी कर ली है. डीडीसी नागेंद्र कुमार सिन्हा ने एक पत्र जारी किया है. पत्र में कहा है कि पेयजल की आपूर्ति के लिए पंचायतों में पानी टैंकर की खरीद हुई है, तो इसकी राशि वाहन मद में खर्च नहीं की जानी थी.
टैंकर क्रय कोई योजना की कोटि में नहीं है. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा जलापूर्ति से संबंधित योजनाएं संचालित की जाती है, तो योजना लेने से पहले योजना एवं स्वच्छता विभाग से अनापत्ति प्रमाण-पत्र लिया जाना था. साथ ही तीन लाख रुपये से ऊपर की योजनाओं का क्रियान्वयन निविदा के माध्यम से कराना था, लेकिन मुखियाओं ने अपने लाभ के लिए कारनामा किया है. विभागीय निर्देशों का अनुपालन नहीं किया गया है. ज्ञात हो कि सिसई प्रखंड में दुगुने मूल्य पर सोलर लाइट व नियम विरुद्ध पानी टैंकर की खरीद की प्रखंड प्रशासन समिति द्वारा जांच की गयी थी, तो करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया था. इसके बाद डीडीसी के निर्देश पर इसकी वरीय अधिकारियों ने जांच भी की. इसके बाद डीडीसी ने सभी 159 पंचायत के मुखिया व पंचायत सेवकों से 2017 के जून माह में स्पष्टीकरण मांगा था. इसमें कई लोगों ने अपना पक्ष रखा है, लेकिन कई लोगों का अभी तक स्पष्टीकरण प्राप्त नहीं हुआ है. इधर, लगातार गड़बड़ियां सामने आने के बावजूद घाघरा प्रखंड में भी कई मुखिया ने हेराफेरी कर दी. सोलर लाइट की खरीद में गड़बड़ी की है. ज्रेडा से सोलर लाइट खरीदी जानी थी, लेकिन यहां अपनी पसंद की दुकान से सोलर लाइट खरीद कर लाखों रुपये की हेराफेरी की गयी है. जिस प्रकार का घोटाला हुआ है और अधिकारियों ने जो जांच की, उसके अनुसार अब कई मुखियाओं पर गाज गिरना तय माना जा रहा है.