सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है. सरकारी दावों के बावजूद विद्यालयों में बुनियादी सुविधाओं और शिक्षकों की गंभीर कमी देखने को मिल रही है. चांदा पंचायत के उत्क्रमित मध्य विद्यालय महुआरा का ताजा उदाहरण है. ग्रामीण इलाके में स्थित इस विद्यालय में कुल 381 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं, लेकिन उनके पढ़ाई का जिम्मा केवल दो शिक्षकों जो स्वयं पारा शिक्षक हैं के भरोसे है. बुधवार को विद्यालय निरीक्षण के दौरान सुबह करीब दस बजे बच्चे खेलते नजर आये, जबकि पढ़ाई का माहौल लगभग न के बराबर था. विद्यालय के पारा शिक्षक संजय कुमार मंडल ने बताया कि दोनों शिक्षक बारी-बारी से बच्चों को पढ़ाई कराते हैं, जिससे पढ़ाई पर्याप्त समय और ध्यान नहीं मिल पा रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि कई विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या आवश्यकता से अधिक है, जबकि अन्य स्कूलों में इस प्रकार की कमी बनी हुई है. स्थानीय लोगों ने शिक्षा पदाधिकारियों से अपील की है कि महुआरा जैसे विद्यालयों में आवश्यकतानुसार शिक्षकों का स्थानांतरण किया जाये, ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके. लगातार शिक्षक कमी के कारण शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है और भविष्य में इसका प्रभाव ग्रामीण बच्चों की सफलता पर पड़ सकता है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

