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नौ करोड़ 14 लाख 89 हजार की लागत से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पथरगामा में बनेगा नया भवन

सांसद डॉ निशिकांत दुबे व गोड्डा विधायक की पहल पर विभाग ने दी मंजूरी

पथरगामा. प्रखंड क्षेत्र के लोगों के लिए सुखद खबर आयी है. ग्रामीणों को पथरगामा अस्पताल में सीएचसी स्तर की सुविधा मिल पायेगी. यह सांसद डॉ निशिकांत दुबे व गोड्डा विधायक अमित कुमार मंडल की पहल से संभव हो पाया है. नौ करोड़ 14 लाख 89 हजार 781 रुपये की लागत से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पथरगामा का नया भवन बनाया जायेगा. इसकी मंजूरी विभाग से मिल गयी है. झारखंड स्टेट बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड रांची की ओर से टेंडर रेफरेंस नंबर (जेएसबीसीएल/36/2024-25) में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पथरगामा के नये भवन निर्माण को लेकर शामिल है. जारी शॉर्ट टर्म इ-प्रोक्योरमेंट नोटिस में 31.07.2024 को 11:00 बजे वेबसाइट पर टेंडर का प्रकाशन किया जायेगा. बताते चलें कि पथरगामा अस्पताल में सीएचसी स्तर के भवन निर्माण की मांग समय-समय पर ग्रामीणों द्वारा उठायी जाती रही है. नये भवन की मांग को ध्यान में रखते हुए गोड्डा विधायक अमित मंडल ने विधानसभा की पटल पर रखा था. सांसद डॉ निशिकांत दुबे के संज्ञान में विधायक के साथ ग्रामीणों ने अस्पताल भवन की समस्या से अवगत कराते नयी बिल्डिग निर्माण को लेकर डॉ दुबे की ओर से पहल कर दी गयी. अस्पताल भवन निर्माण को हरी झंडी मिलने के बाद क्षेत्र के लोगों में खुशी देखी जा रही है. भवन बन जाने के बाद पथरगामा अस्पताल में सीएचसी स्तर के इंफ्रास्ट्रक्चर बहाल होंगे. मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकेंगी. बताते चलें कि वर्ष 2007 में पथरगामा अस्पताल को पीएचसी से सीएचसी का दर्जा मिला था. सीएचसी का दर्जा मिलने के बाद ऐसा कयास लगाया जा रहा था कि अब पथरगामा अस्पताल के पुराने भवन का कायाकल्प हो सकेगा. पर अस्पताल का भवन नहीं बन सका. अस्पताल की ओपीडी, दवा कक्ष, जांच घर, ड्रेसर कक्ष भी भवन निर्माण नहीं होने की वजह से संकीर्ण कमरे में संचालित है. अस्पताल का प्रसव गृह भी दो छोटे से संकीर्ण कमरे में शिफ्ट है. वहीं अस्पताल की ओटी भी सीएचसी स्तर का नहीं है. 1957 में बने पुराने भवन में चल रहा अस्पताल वर्तमान समय में पथरगामा अस्पताल 1957 में बने पुराने अस्पताल भवन में संचालित है. नये भवन निर्माण की बात तो दूर मीटिंग हॉल तक नहीं बन सका है. इस वजह से स्वास्थ्यकर्मियों की मासिक बैठक अस्पताल के कार्यालय के सामने की जमीन पर दरी बिछाकर आयोजित करनी पड़ती है. फिर स्वास्थ्यकर्मियों को प्रखंड कार्यालय के मीटिंग हॉल में बैठक के लिए जाना पड़ता है. वहीं अस्पताल कार्यालय की जमीन पर बैठक करने से अस्पताल कार्यालय से आवाजाही भी बाधित हो जाया करती है. यदि एक साथ एएनएम और सहिया की बैठक बुलायी गयी है, तो अस्पताल में बैठक कर पाना संभव नहीं होता है. कर्मियों की तुलना में अस्पताल में जगह कम पड़ जाती है. बता दें कि पुराने अस्पताल भवन के संकीर्ण होने के कारण मरीजों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. मरीजों को बैठने के लिए भी पर्याप्त जगह नजर नहीं आता है. मुश्किल से दो बेंच मरीजों के बैठने के लिए लगे नजर आते हैं.

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Prabhat Khabar News Desk
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