आरती के बाद नैवेद्य ग्रहण किया गया. भैयारी का भी आयोजन किया गया, जहां समाज के लोगों ने सामूहिक रूप से भोजन किया. वहीं भाई बहन के प्रेम, त्याग और समर्पण का प्रतीक भैया दूज का पर्व भी मनाया गया. इसमें बहनों ने गोधन कूटकर अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना की. ऐसी मान्यता है कि यम देवता ने अपनी बहन यमुना को इसी दिन दर्शन दिया था, जो काफी लंबे समय से उनसे मिलने के लिए व्याकुल थी. अपने घर भाई यम के आगमन पर बहन यमुना ने उनका स्वागत किया. यामिनी ने प्रसन्न होकर वरदान दिया कि यमुना नदी में इस दिन भाई बहन स्नान करें, तो इसका बड़ा पुण्य होगा. उसी दिन यह भी वचन दिया गया कि सभी भाई अपनी बहन के घर जाकर उन्हें स्नेह संदेश देंगे, बहन भाई की लंबी उम्र की कामना करेंगी. उसी दिन से यह परंपरा चली आ रही है. कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को भाई अपनी बहनों के घर उपहार लेकर पहुंचते हैं. बहनें भाई के हाथों में पीठौर लगाकर पान, सुपारी, मुद्रा आदि देकर उनकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं.
हर्षोल्लास के साथ मना भाई दूज
गांडेय प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में भाई-बहन के अटूट प्रेम का पर्व भैया दूज हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस दौरान गांडेय, अहिल्यापुर, रसनजोरी, बुधुडीह, महेशमुंडा समेत विभिन्न गांवों में उत्साह का माहौल रहा. भाई दूज की सुबह को बहनों ने भाई के ललाट को ओस से साफ किया और बेल के कांटा से तिलक लगाया और भाई के लंबी उम्र की कामना की. इधर गांडेय, मंडरो, दासडीह व महेशमुंडा समेत विभिन्न गांवों में कायस्थ समाज ने भगवान चित्रगुप्त की पूजा-अर्चना की.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

